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अब जिले के 15 स्वास्थ्य संस्थानों में नशा मुक्ति क्लीनिक सेवाएं

अब जिले के 15 स्वास्थ्य संस्थानों में नशा मुक्ति क्लीनिक सेवाएं



 कांगड़ा जिले के 15 स्वास्थ्य संस्थानों में अब नशा मुक्ति क्लीनिक सेवाएं शुरु की जाएंगी। यह जानकारी उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने राष्ट्रीय नार्काे समन्वय पोर्टल (एनकॉर्ड) के तहत बनी जिलास्तरीय समन्वय समिति की बैठक के उपरांत दी। उपायुक्त कार्यालय में आज (बुधवार) को आयोजित इस बैठक में जिला नार्काेटिक्स समन्वय समिति की संयोजक पुलिस अधीक्षक कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री भी उपस्थित रहीं। डॉ. निपुण जिंदल बताया कि पहले चरण में जिला कांगड़ा में 15 जून से 8 स्वास्थ्य संस्थानों में नशा मुक्ति क्लीनिक सेवाएं शुरू की गई थीं। जिनमें जोनल अस्पताल धर्मशाला के साथ सिविल अस्पताल ज्वालामुखी, कांगड़ा, शाहपुर, नूरपुर, इंदौरा फतेहपुर और पालमपुर में यह सेवाएं दी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि इन अस्पतालों में शुरु की गई नशा मुक्ति क्लीनिक का लोग लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने बताया इन सभी अस्पतालों में कि अभी तक हुई दो ओपीडी में नशे से पीड़ित 33 लोग परामर्श ले चुके हैं और अपना उपचार करवा रहे हैं। डीसी ने बताया कि जिले में अब 7 अन्य अस्पतालों में भी नशा मुक्ति क्लीनिक सेवाएं शुरु की जाएंगी। जिनमें देहरा, बैजनाथ, थुरल, फतेहपुर, जवाली, डाडासीबा और जयसिंहपुर के सिविल अस्पतालों शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जिले के इन सभी 15 अस्पतालों में ये सेवाएं हर हफ्ते 2 दिन शुक्रवार और शनिवार को दोपहर बाद 2 से 4 बजे तक मिलेंगी। उन्होंने बताया कि इन संस्थानों में नशा मुक्ति के मामलों को डील करने के लिए प्रशिक्षित चिकित्सक और स्टाफ उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि इस संस्थानों में नशा मुक्ति से जुड़ी सभी दवाइयां भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई जाएंगी। बता दें, हाल ही में 26 जून को शिमला में आयोजित एक कार्यक्रम में जिला कांगड़ा को नशा निवारण गतिविधियों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पुरस्कृत किया था। 19 से 25 जून तक चले राज्यव्यापी नशा निवारण कैंपेन में जिले ने विविध जागरूकता गतिविधियां के माध्यम से जिलेभर में शिक्षण संस्थानों, गांवों-पंचायतों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए थे। जिसके लिए जिला कांगड़ा प्रदेश भर अव्वल रहा। बरसात की छुट्टियों के बाद स्कूल में शुरु होगा ‘संवाद’ कार्यक्रम डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि स्कूलों में बच्चों को जागरूक करने के उद्देश्य से बरसात की छुट्टियों के बाद ‘संवाद’ कार्यक्रम शुरू किया जएगा। उन्होंने बताया कि स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को जागरूक करने के लिए ‘संवाद’ (एस.ए.एम.वी.ए.ए.डी.-सिस्टेमैटिक अडोलसेंट मैनेजमेंट एंड वैल्यू एडीशन डायलॉग) के नाम से एक विस्तृत कार्यक्रम बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों की स्कूली बच्चों से जुड़ी शिक्षा व जागरुकता गतिविधियों को कन्वर्जेंस के साथ निर्धारित शेड्यूल के मुताबिक चलाया जाएगा। नशा निवारण और पुनर्वास केंद्रों का हो निरीक्षण जिलाधीश ने बैठक में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जुड़े सभी एसडीएम से संबंधित उपमंडलों में नशा निवारण को लेकर उठाए कदमों और नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों के औचक निरीक्षण को लेकर की कार्रवाई की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि जिले में चल रहे नशा निवारण और पुनर्वास केंद्रों का निरंतर निरीक्षण जरूरी है। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने नशा निवारण और पुनर्वास केंद्रों के निरीक्षण के लिए एक चेक लिस्ट तैयार की है। इसमें उन सभी कार्रवाइयों को शामिल किया गया है, जिन्हें केंद्र के निरीक्षण में चेक किया जाना चाहिए। वल्नरेबल स्थानों की हो मैपिंग बैठक में पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री ने जिले में नशे के हिसाब से वल्नरेबल स्थानों की मैपिंग करने की बात कही। उन्होंने कहा कि ये देखना में आया है कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कुछ स्थल नशा करने के सम्भावित अड्डे जैसे बन गए हैं। पुराने भवन, सुनसान स्थल इनमें प्रमुख हैं। उन्होंने सभी एसडीएम तथा अन्य विभागों से ऐसी जगहों की मैपिंग करके डाटा पुलिस से साझा करने का आग्रह किया, ताकि पुलिस की टीमें वहां विशेष निगरानी कर सकें। यह रहे उपस्थित इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त सौरभ जस्सल, डॉ. विक्रम कटोच, जिला कल्याण अधिकारी नरेंद्र जरयाल, डीएफओ देहरा सन्नी वर्मा, उपनिदेशक कृषि डॉ. राहुल कटोच, विभिन्न विभागों के अधिकारी, गुंजन ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक संदीप परमार, अन्य गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा हितधारक उपस्थित रहे। वहीं सभी एसडीएम वर्चुअल माध्यम से इसमें शामिल हुए।

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