हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में मनाली-लेह नेशनल हाईवे पर एक पर्यटक की हाई एल्टीट्यूड सिकनेस से जान चली गई। - Smachar

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हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में मनाली-लेह नेशनल हाईवे पर एक पर्यटक की हाई एल्टीट्यूड सिकनेस से जान चली गई।

 हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में मनाली-लेह नेशनल हाईवे पर एक पर्यटक की हाई एल्टीट्यूड सिकनेस से जान चली गई। 


शिमला : गायत्री गर्ग /

हादसा रविवार को दारचा के पास हुआ। मृतक की पहचान पंजाब के पटियाला निवासी वरिंदरजीत पंधेर (54) के रूप में हुई है, जो अमन बाग कॉलोनी में रहते थे। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।

वरिंदरजीत अपनी पत्नी गुरप्रीत पंधेर और बेटी हरजोबन के साथ छुट्टियों पर निकले थे। 28 मई को पटियाला से रवाना होकर वह मनाली पहुंचे और वहां रात बिताई। 29 मई को लेह की ओर रवाना हुए और पांग में रुके। रविवार को वे वापसी के दौरान दारचा पहुंचे, जहां उनकी तबीयत बिगड़ गई। मौके पर प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद उन्हें केलांग ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। परिजन बता रहे हैं कि 31 मई को भी उनकी तबीयत खराब थी, लेकिन दारचा की ऊंचाई पर ऑक्सीजन स्तर गिरने से हालत अचानक बिगड़ गई। उस वक्त वाहन उनकी पत्नी चला रही थीं।

शिमला के IGMC अस्पताल के पलमोनरी एक्सपर्ट डॉ. आरएस नेगी ने बताया कि जब व्यक्ति तेजी से ऊंचाई पर जाता है, तो शरीर को ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ता है। जितनी ज्यादा ऊंचाई, उतनी पतली हवा और उतना कम ऑक्सीजन। यदि शरीर इस बदलाव को झेल नहीं पाता तो माउंटेन सिकनेस हो सकती है। दारचा समुद्र तल से करीब 11,000 फीट ऊंचाई पर है और यहां अक्सर ऑक्सीजन की उपलब्धता कम हो जाती है। इन दिनों इलाके में बर्फबारी होने से भी ऑक्सीजन लेवल और नीचे चला गया है। माउंटेन सिकनेस को मेडिकल भाषा में एक्यूट माउंटेन सिकनेस भी कहा जाता है, जो ऊंचाई पर अचानक चढ़ाई करने वाले पर्यटकों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

 डॉ. आरएस नेगी ने बताया कि माउंटेन सिकनेस तब होती है जब व्यक्ति का शरीर कम ऑक्सीजन वाली ऊंचाई के अनुकूल नहीं हो पाता। यह स्थिति अक्सर 8,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर देखने को मिलती है। शुरुआती लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, सिरदर्द, जी मचलाना, भूख न लगना, थकावट और नींद में समस्या शामिल होती है। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो भ्रम, असंतुलन और बेहोशी जैसी गंभीर हालत भी हो सकती है। उन्होंने सलाह दी कि ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत कम ऊंचाई की ओर लौटें और चिकित्सकीय सहायता लें।

नेगी ने यह भी कहा कि बिना acclimatization किए यानी ऊंचाई के अनुकूल बने बिना अचानक ऊंचे क्षेत्रों की यात्रा करना खतरनाक हो सकता है। हृदय और फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त लोगों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।

प्रशासन की तरफ से भी एडवाइजरी जारी की गई है कि ऊंचाई को धीरे-धीरे पार करें, यात्रा की शुरुआत में कम ऊंचाई पर रुकें, खूब पानी पिएं, फर्स्ट एड और पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर साथ रखें। यह भी ध्यान रखें कि दारचा और आस-पास मोबाइल नेटवर्क की स्थिति कमजोर रहती है, जिससे आपातकाल में मदद देर से मिल सकती है।



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