ट्रैफिक इंचार्ज सुरिंदर सिंह गोराया: खाकी में इंसानियत की मिसाल
ट्रैफिक इंचार्ज सुरिंदर सिंह गोराया: खाकी में इंसानियत की मिसाल
बटाला : अविनाश शर्मा, चरण सिंह /
बटाला के ट्रैफिक इंचार्ज सुरिंदर सिंह गोराया अपने मृदु व्यवहार, समझदारी और ज़िम्मेदार ड्यूटी भावना के कारण जनता के बीच एक अलग पहचान बना चुके हैं। वे सिर्फ़ कानून के रखवाले नहीं, बल्कि इंसानियत के प्रतीक बनकर उभरे हैं।
जहां आमतौर पर ट्रैफिक नियमों की उल्लंघना पर चालान होता है, वहीं गोराया पहले प्यार और संवाद से समझाना पसंद करते हैं। वे मानते हैं कि
> "कानून का पालन डर से नहीं, समझ और ज़िम्मेदारी से होना चाहिए।"
उन्होंने रेत से भरे ट्रक को बिना ढकने पर रोका और ड्राइवर को समझाया कि उड़ती रेत राहगीरों की आंखों को नुक़सान पहुंचा सकती है। इसी तरह, फोन पर बात करते एक बाइक सवार को रोका और कहा:
> "फोन दोबारा मिल जाएगा, जान नहीं।"
एक अन्य मौके पर एक ऑटो में बहुत सारे बच्चे बैठे थे, जिनका कोई सुरक्षा इंतज़ाम नहीं था। ड्राइवर के पास लाइसेंस भी नहीं था। गोराया ने बच्चों के माता-पिता को फोन कर समझाया:
> "बच्चे फूलों जैसे हैं, इनकी सुरक्षा हमारीप्राथमिकता है।"
इसके अलावा, शहर में अवैध रूप से लगे तेज़ आवाज़ वाले माइक हटवाए और ज़रूरत पड़ने पर कानूनी चेतावनी भी दी।
उनकी सेवा भावना को देखते हुए ट्रैफिक विभाग द्वारा कई बार सम्मानित किया जा चुका है।
आज जब पुलिस की छवि पर सवाल उठते हैं, सुरिंदर सिंह गोराया जैसे अधिकारी यह भरोसा दिलाते हैं l
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