चैत्र नवरात्रि विशेषांक Himachal Media - Smachar

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चैत्र नवरात्रि विशेषांक Himachal Media


चैत्र नवरात्रि विशेषांक Himachal Media


चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2025


कलश स्थापना (घटस्थापना) नवरात्रि की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इस दौरान विशेष मुहूर्त में कलश स्थापना करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।


2025 में कलश स्थापना के लिए निम्नलिखित महूर्त हैं।


1. प्रातः काल मुहूर्तः

सुबह 6:13 बजे से 10:22 बजे तक (यह अत्यंत शुभ समय है। इसी में स्थापना करने का विधान है।)

2. अभिजीत मुहूर्तः

दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक (यदि प्रतः मुहूर्त छूट जाए तो इस समय भी स्थापनाकी जा सकती है।)


महत्वपूर्ण जानकारी:

1. इस वर्ष तिथि क्षय (घट जाने) के कारण चैत्र नवरात्रि 8 दिन की होगी, अर्थात 30 मार्च से 6 अप्रैल 2025 तक ही रहेगी।

2. नवमी 6 अप्रैल को ही मनाई जाएगी। 

3. 7 अप्रैल 2025 को कोई नवरात्रि तिथि नहीं रहेगी।


चैत्र नवरात्रि विशेषांक Himachal Media

चैत्र मास के नवरात्र का आरंभ 30 मार्च, रविवार से हो रहा है। नवरात्रि में रोज देवी को अलग-अलग भोग लगाने से तथा बाद में इन चीजों का दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जानिए नवरात्रि में किस तिथि को देवी को क्या भोग लगाएं।

प्रतिपदा तिथि (नवरात्र के पहले दिन) पर माता को घी का ।भोग लगाएं ।इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर निरोगी होता है ।


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"ॐ श्रीं ह्रीं क्लिं ऐं कमल वसिन्ये स्वाहा"

नवरात्रियों में उपवास करते, हैं  तो एक मंत्र जप करें ........ये मंत्र वेद व्यास जी भगवान ने कहा है ....इससे श्रेष्ट अर्थ की प्राप्ति हो जाती है......दरिद्रता दूर हो जाती है । 

नवरात्रि के दिनों में खीर की २१ या ५१ आहुति गायत्री मंत्र बोलते हुए दें । इससे विद्यार्थी को बड़ा लाभ होगा।


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चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 30 मार्च, रविवार से हो रहा है, धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती हैं । जानिए नवरात्रि में किस दिन देवी के कौन से स्वरूप की पूजा करें।



प्रथम दिन:   हिमालय की पुत्री हैं मां शैलपुत्री

चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। नवरात्रि  के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना करते हैं।

हमारे जीवन प्रबंधन में दृढ़ता, स्थिरता व आधार का महत्व सर्वप्रथम है। इसलिए इस दिन हमें अपने स्थायित्व व शक्तिमान होने के लिए माता शैलपुत्री से प्रार्थना करनी चाहिए। शैलपुत्री की आराधना करने से जीवन में स्थिरता आती है। हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति स्वरूपा भी हैं । स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी है।

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