हिंदू नव वर्ष के दिन ही ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी: परमजीत सिंह गिल
हिंदू नव वर्ष के दिन ही ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी: परमजीत सिंह गिल
बटाला 30 मार्च (अविनाश शर्मा, संजीव नैयर):- हिमालय परिवार संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और लोकसभा हलका गुरदासपुर के सीनियर नेता परमजीत सिंह गिल ने आज सभी देशवासियों को नव वर्ष की बधाई देते हुए बताया कि नव वर्ष या नया साल एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है।
उन्होंने कहा के हिंदू नव वर्ष के अनुसार ही प्राचीनकाल से ही यह परंपरा है कि इसी माह से देश दुनिया में पुराने कामकाज को समेटकर नए कामकाज की रूपरेखा तय की जाती रही है, क्योंकि यह माह वसंत के आगम का माह है और इस माह से ही प्रकृति फिर से नई होने लगती है।
उन्होंने कहां के आज भी भारत में चैत्र माह में बहिखाते नए किए जाते हैं। दुनिया के अन्य देशों में भी इसी माह में यह कार्य होता आ रहा है। यानी की मार्च माह में बदलाव होता है। दुनियाभर के समाज, धर्म और देशों में अलग-अलग समय में नववर्ष मनाया जाता है।
उन्होंने कहां के इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की थी।
सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों और शकों को परास्त कर भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना और शक संवत की स्थापना की।
युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
संघ संस्थापक प.पू.डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन भी इसी तिथि को मनाया जाता है।
उन्होंने कहां के इस दिन आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें, इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ, अपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ, घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ, इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें, प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें।
इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें, वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राएं कवि सम्मेलन, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें, चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम करने चाहिए।
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