हिमाचल सरकार की दूरदर्शी पहल, एनसीसी के माइक्रोलाइट विमान की भुंतर में सफल लैंडिंग
हिमाचल सरकार की दूरदर्शी पहल, एनसीसी के माइक्रोलाइट विमान की भुंतर में सफल लैंडिंग
कुल्लू : ओम बौद्ध /
हिमाचल प्रदेश एनसीसी कैडेट्स सपना, अब हकीकत बनने के साथ साथ गर्व और प्रेरणा का प्रतीक बन है। जब वन-एचपी एयर स्क्वाड्रन एनसीसी, कुल्लू को आवंटित SW-80 वायरस माइक्रोलाइट विमान ने पहली बार कुल्लू-मनाली हवाई अड्डे (भुंतर एयरपोर्ट) में सफल ट्रायल लैंडिंग की।
पहाड़ी और जटिल हवाई मार्ग में इस उड़ान का संचालन किसी उपलब्धि से कम नहीं था। यह न केवल तकनीकी दक्षता का उदाहरण है, बल्कि एनसीसी कैडेट्स के धैर्य, समर्पण और टीम भावना की भी जीती-जागती मिसाल बनी।
जब विमान ने भुंतर की हवाई पट्टी को छुआ, तो उपस्थित एनसीसी कैडेट्स और अधिकारियों के चेहरों पर गौरव और उत्साह की चमक थी। वर्षों से जिस उड़ान प्रशिक्षण की प्रतीक्षा थी, वह अब हिमाचल की धरती पर साकार होगा।
उपायुक्त कुल्लू, तोरुल रवीश ने इसे जिला के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि “भुंतर एयरपोर्ट पर एनसीसी हैंगर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और SW-80 की सफल लैंडिंग कुल्लू के लिए एक नई दिशा और पहचान बनेगी।” इस उड़ान के पीछे कई लोगों की अथक मेहनत और दूरदर्शी सोच है।
विंग कमांडर कुणाल शर्मा, कमांडिंग ऑफिसर, वन-एचपी एयर स्क्वाड्रन एनसीसी, ने बताया कि यह विमान पहले पटियाला में स्थित था, क्योंकि कुल्लू में हैंगर उपलब्ध नहीं था। उन्होंने कहा कि यह उड़ान ग्रुप कैप्टन ए. भारद्वाज, कमांडिंग ऑफिसर, 3 पंजाब एयर स्क्वाड्रन एनसीसी, पटियाला के नेतृत्व में पूरी की गई है।
उन्होंने शिक्षा विभाग, जिला प्रशासन और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से शेष औपचारिकताओं को शीघ्र हस्ताक्षरित करने का आग्रह किया, ताकि एनसीसी कैडेट्स को अब यहीं कुल्लू में उड़ान प्रशिक्षण प्राप्त हो सके।
कुल्लू में बन रहा अत्याधुनिक एनसीसी एयर हैंगर इस उपलब्धि की नींव है। इस परियोजना पर लगभग 1 करोड़ 91 लाख रुपये व्यय किये जा रहे हैं। जिसमें से हिमाचल प्रदेश सरकार ने लगभग 1 करोड़ 25 लाख रुपये, और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 66 लाख रुपये का योगदान दिया है।
यह सुविधा हिमाचल प्रदेश में अपनी तरह की पहली हवाई एनसीसी प्रशिक्षण सुविधा होगी। इससे पहले कैडेट्स को प्रशिक्षण के लिए पटियाला जाना पड़ता था। अब यह सुविधा प्रदेश के युवाओं के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलेगी।
यह सफलता केवल एक विमान की उड़ान नहीं, बल्कि हिमाचल के युवाओं के आत्मविश्वास और आकांक्षाओं की उड़ान है। इससे विद्यार्थियों का समय और संसाधन दोनों बचेंगे, साथ ही उन्हें एविएशन और डिफेंस सेक्टर में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे।
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