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प्राकृतिक खेती की ओर किसानों का कदम

 प्राकृतिक खेती की ओर किसानों का कदम : गोहर में JICA परियोजना के तहत वितरित की गई न्यूट्री किचन गार्डन किट्स


मंडी : अजय सूर्या /

 गोहर उपमंडल में हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना (चरण–II) के अंतर्गत शुक्रवार शाम ब्लॉक परियोजना प्रबंधन इकाई (BPMU) गोहर द्वारा किसानों के बीच “न्यूट्री किचन गार्डन किट्स” वितरित की गईं। यह पहल किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की गई है।


प्रदेश में चल रही जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) परियोजना के तहत अब तक 306 उप–परियोजनाओं के माध्यम से लगभग 8,000 हेक्टेयर कृषि भूमि और करीब 30,000 किसान परिवार जोड़े जा चुके हैं। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य किसानों को वैज्ञानिक और टिकाऊ खेती की ओर प्रेरित करना है ताकि कृषि को लाभदायक और स्वास्थ्यवर्धक बनाया जा सके।


परियोजना के तहत “बाजारीकरण को केंद्र बिंदु” मानते हुए कार्य किया जा रहा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ उनके उत्पादों को उचित बाजार मूल्य मिल सके। वर्तमान में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं का एक प्रमुख कारण रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग बताया गया, जिसने मिट्टी की गुणवत्ता, जल स्रोतों और पर्यावरण पर नकारात्मक असर डाला है।


इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए गोहर ब्लॉक इकाई ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु किसानों में जागरूकता अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत वितरित की जा रही “न्यूट्री किचन गार्डन किट्स” में मौसमी सब्जियों के बीज शामिल हैं। इनका उद्देश्य प्रत्येक परिवार को अपने घर के आसपास छोटे स्तर पर जैविक किचन गार्डन स्थापित करने के लिए प्रेरित करना है, ताकि वे अपने उपयोग के लिए ताज़ी और पोषक सब्ज़ियाँ स्वयं उगा सकें।


यह कार्यक्रम एफआईएस गवाड़, सुरथी-थाची, गद्दीमन-मझोठी, खरखन खड्ड-लेहोटी, देओली-देलग टिक्करी, कंसा खड्ड-पलहोटा, नोगी खड्ड-काण्डलू, काण्डलू-बिठरी, गवार–मस्वारी, सन्दोआ, शनि मंदिर–पंचक्कर और बढारनु–गिरजनू क्षेत्रों में आयोजित किए गए।


परियोजना अधिकारियों ने किसानों को बीज बुवाई की विधि, पौधों की देखभाल, सिंचाई तकनीक, और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से न केवल उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ती है बल्कि मिट्टी, जल और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।


किसानों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि अब वे अपने घरों में किचन गार्डन बनाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने परियोजना टीम का आभार जताया और कहा कि ऐसी योजनाएँ स्वास्थ्य, पर्यावरण और आर्थिक सुधार — तीनों के लिए लाभकारी हैं।


ब्लॉक परियोजना प्रबंधन इकाई गोहर ने बताया कि भविष्य में इस प्रकार के न्यूट्री किचन गार्डन कार्यक्रमों को और अधिक गांवों तक विस्तारित किया जाएगा, ताकि हिमाचल प्रदेश को जैविक खेती और स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में अग्रणी राज्य बनाया जा सके।


यह पहल न केवल किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला रही है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ, संतुलित और टिकाऊ कृषि प्रणाली की मजबूत नींव भी रख रही है।

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