बल्ह के बड्याह गांव में ‘गुप्त गौसदन’ का काला सच उजागर — सड़ी लाशों की दुर्गंध से त्रस्त ग्रामीण - Smachar

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बल्ह के बड्याह गांव में ‘गुप्त गौसदन’ का काला सच उजागर — सड़ी लाशों की दुर्गंध से त्रस्त ग्रामीण

 बल्ह के बड्याह गांव में ‘गुप्त गौसदन’ का काला सच उजागर — सड़ी लाशों की दुर्गंध से त्रस्त ग्रामीण, प्रशासन की जांच में मिली क्रूरता की भयावह तस्वीर


नेरचौक : अजय सूर्या /

 लूनापानी के बड्याह गांव में एक कथित ‘गौसदन’ के नाम पर चल रहा क्रूरता का अड्डा आखिरकार ग्रामीणों की हिम्मत और शिकायत के बाद बेनकाब हो गया। 25 वर्षों से गौवंश की खरीद–फरोख्त करने वाला केहर सिंह कुछ समय से बिना अनुमति के इस इलाके में छिपकर दर्जनों बीमार पशुओं को रख रहा था। लेकिन सच इससे भी भयावह था — गांव वालों के अनुसार यहां पशुओं की ठीक से देखभाल तक नहीं होती थी, जिसके कारण कई गौवंश तड़प-तड़प कर मर रहे थे, और उनकी लाशें बिना गड्ढा खोदे सड़ने के लिए छोड़ दी जाती थीं।

ग्रामीण बताते हैं कि मृत पशुओं की लगातार फैलती दुर्गंध ने उनका जीना दूभर कर दिया था। खेतों के किनारे फेंकी गई गली-सड़ी लाशों से उठती बदबू के चलते कई परिवार अपनी जमीन बीजना भी बंद कर चुके हैं। गांव की महिलाएं और बुजुर्ग बताते हैं कि रात को गंध इतनी तीखी हो जाती थी कि खिड़कियां–दरवाज़े बंद कर भी नींद नहीं आती थी। लेकिन आरोपी के डर और उसके पुराने प्रभाव के कारण कोई खुलकर शिकायत नहीं कर पा रहा था।

गौसेवक आयुष शर्मा को जब यह जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत प्रशासन को अवगत कराया। सूचना मिलते ही एसडीएम बल्ह समृतिका नेगी, नेरचौक नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी हितेश और थाना बल्ह के SHO टीम सहित मौके पर पहुंचे। जांच के दौरान जैसे-जैसे जमीन खोदी गई, क्रूरता की परतें खुलती चली गईं — कई पशुओं के कंकाल मिले, और एक ताज़ी सड़ी हुई गाय भी जमीन में दबाई मिली। अधिकारी भी मौके की स्थिति देखकर हैरान रह गए।

मौके पर 15 से अधिक गायें एक छोटे से स्थान में ठूंसी हुई मिलीं, जिनमें कई गंभीर रूप से बीमार थीं। पशु चिकित्सक की टीम ने बीमार गायों की हालत को “गंभीर उपेक्षा” बताया। फॉरेंसिक टीम और पोस्टमार्टम टीम को भी मौके पर बुलाया गया ताकि मौत के कारणों की वैज्ञानिक जांच हो सके।

जब केहर सिंह से सवाल पूछे गए, तो वह जवाब देने से बचता नजर आया। ग्रामीणों का आरोप है कि वह वर्षों से इसी तरह पशुओं की लाशें खुले में फेंकता रहा है, जिसके कारण गांव का पर्यावरण संकट में है, और बच्चों–बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर भारी असर पड़ा है।

प्रशासन ने आरोपी पर 10,000 रुपये का चालान किया है और जांच आगे बढ़ा दी है। एसडीएम समृतिका नेगी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि इस मामले में कठोरतम कार्रवाई होगी और पशु क्रूरता के हर पहलू की गहराई से जांच की जाएगी।

ग्रामीणों की एक ही मांग है — “इस अमानवीय क्रूरता का अंत हो, और गांव को फिर से सुरक्षित और स्वच्छ बनाया जाए।”

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