थर्ड वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट को पीएम मोदी ने किया संबोधित, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बारे में बताया - Smachar

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थर्ड वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट को पीएम मोदी ने किया संबोधित, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बारे में बताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी शनिवार को थर्ड वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट को संबोधित किया। इस दौरान देश के कई प्रमुख शामिल हुए। पीएम मोदी ने कहा,  140 करोड़ भारतीयों की ओर से 'थर्ड वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट' में आपका स्वागत है।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल साउथ समिट को संबोधित करते हुए कहा, "भारत ग्लोबल साउथ के सभी देशों के साथ अपने अनुभव और क्षमताएं साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले कुछ वर्षों में आधारभूत संरचना, डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी से हमारे आपसी सहयोग को बढ़ावा मिला है। ग्लोबल साउथ, DPI में तेज़ी लाने के लिए हमने सोशल इंपैक्ट फंड बनाया है। भारत इसमें 25 मिलियन डॉलर का शुरुआती योगदान करेगा। 

पिछले दो समिट में मुझे आपमे से कई साथियों के साथ मिलकर काम करने का अवसर मिला। मुझे खुशी है कि इस वर्ष भारत में आम चुनाव के बाद एक बार फिर आप लोगों के साथ जुड़ने का अवसर मिल रहा है। 2022 में G20 समिट में हमने संकल्प लिया था कि हम G20 को एक नया स्वरूप देंगे। थर्ड वॉइस ऑफ ग्लोबल समिट एक ऐसा मंच बना जहां हमने विकास संबंधित और प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा की। एक समावेशी और विकास केंद्रित अप्रोच से G20 को आगे बढ़ाया। आज हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब चारों ओर अनिश्चितता का माहौल है। दुनिया अभी तक कोविड के प्रभाव से पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाई है। दूसरी ओर युद्ध की स्थिति ने हमारी विकास की यात्रा के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी है।

एक समावेशी और विकास केंद्रित अप्रोच से जी-20 को आगे बढ़ाया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण। वह ऐतिहासिक पल था जब अफ्रीकन यूनियन ने जी-20 में स्थायी सदस्यता ग्रहण की। यह समय की मांग है कि ग्लोबल साऊथ के देश एकजुट होकर, एक स्वर में, एक साथ खड़े रहकर एक-दूसरे की ताकत बनें। हम एक-दूसरे के अनुभवों से सीखें और एक-दूसरे को साझा करें और मिलकर अपने संकल्पों को सिद्धि तक लेकर जाएं। भारत ने global south की आशाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं पर आधारित जी-20 एजेंडा तैयार किया।

उन्होंने कहा कि कोविड के बाद दुनिया अनिश्चितता से जूझ रही है और आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रही है, ऐसे में पिछले दशक में स्थापित वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थान आज के मुद्दों से निपटने में कम पड़ गए हैं। भारत वर्चुअल प्रारूप में वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट की मेजबानी कर रहा है, जिसमें वैश्विक दक्षिण के देशों को एक मंच पर विभिन्न मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करने के लिए एक साथ लाने की परिकल्पना की गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाजों के लिए गहरे खतरे बन गए हैं। प्रौद्योगिकी विभाजन और प्रौद्योगिकी से उत्पन्न अन्य आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां सामने आ रही हैं।" भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' के दर्शन पर आधारित यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के दृष्टिकोण का विस्तार है। उन्होंने आगे वैश्विक दक्षिण के देशों से एक साथ आने और एक-दूसरे की ताकत के रूप में काम करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले दशक में निर्मित वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थाएं इस सदी में सामने आने वाली चुनौतियों से लड़ने में अक्षम साबित हुई हैं। यह समय की मांग है कि वैश्विक दक्षिण के देश एक साथ आएं, एक स्वर में एक-दूसरे की ताकत बनें। हमें एक-दूसरे के अनुभवों से सीखना चाहिए, अपनी क्षमताओं को साझा करना चाहिए और दुनिया की दो-तिहाई मानवता को मान्यता देनी चाहिए।"

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