चंद्रधर शर्मा गुलेरी जयंती के अवसर पर जिला किन्नौर के जिला परिषद सभागार में कवि सम्मेलन आयोजित
चंद्रधर शर्मा गुलेरी जयंती के अवसर पर जिला किन्नौर के जिला परिषद सभागार में कवि सम्मेलन आयोजित
जिला के कवियों ने साहित्य के क्षेत्र में चंद्रधर शर्मा गुलेरी के योगदान पर प्रकाश डाला
चंद्रधर शर्मा गुलेरी जयंती के अवसर पर आज जनजातीय जिला किन्नौर के जिला परिषद सभागार में भाषा एवं संस्कृति विभाग के जिला भाषा अधिकारी कार्यालय किन्नौर द्वारा एक दिवसीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें जिला के कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से चंद्रधर शर्मा गुलेरी के जीवन व साहित्य में उनके योगदान से उपस्थित लोगों को अवगत करवाया।
जिला भाषा अधिकारी किन्नौर दीपा शर्मा ने इस अवसर पर बताया कि चंद्रधर शर्मा गुलेरी द्वारा साहित्य में उनके असीम योगदान के मद्देनजर हर वर्ष राज्य व जिला स्तर पर इस जयंती का आयोजन किया जाता है ताकि साहित्य से जुड़ने के लिए युवाओं को प्रेरित किया जा सके। उन्होंने जिला किन्नौर के युवाओं से आह्वान किया कि वे जिला के समृद्ध व प्राचीन साहित्य व इतिहास का ज्ञान प्राप्त करें और जिला के साहित्य से अन्य लोगों को भी अवगत करवाएं।
जिला के कवि राजेश पाल ने किन्नौरी भाषा में कविता व गीत प्रस्तुत किए तथा युवाओं को अपनी मूल भाषा से जुड़े रहने का संदेश दिया। उन्होंने अपनी कविता व गज़ल के माध्यम से जिला में होने वाले मेले एवं त्योहारों की महत्ता व विशेषताओं से सभी की अवगत करवाया व जिला किन्नौर की समृद्ध संस्कृति व रीति-रिवाजों पर प्रकाश डाला। इसके अलावा जिला की कवियत्री जाह्नवी ने आधुनिक समाज में महिलाओं की स्थिति पर बेहतरीन कविता प्रस्तुत की जिसका शीर्षक था 'स्त्री जो रसोई में जलती रही' और उनकी द्वारा लिखी गई पुस्तक 'स्त्री-संघर्ष से सृजन तक' और हिमालय का हृदय-'मैं किन्नौर' का अनावरण किया।
इस अवसर पर जय पाल नेगी ने 'त्रासदी', भगत सिंह किन्नर ने 'कल मैने सतलुज को रोते देखा', डी.एस गोलदार नेगी ने 'किन्नौर की संस्कृति', सुजल ने 'अजनबी से अजीज', भारती कौर ने 'मेरी मातृभूमि' और मोहिनी नेगी ने 'किन्नौर का पारंपरिक परिधान' विषयों पर कविताएं प्रस्तुत की।
इस दौरान जिला भाषा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
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