भगवान कार्तिक स्वामी के जन्म दिवस पर अच्छी फसल के लिए लोगों ने खेली कीचड़ भरी होली - Smachar

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भगवान कार्तिक स्वामी के जन्म दिवस पर अच्छी फसल के लिए लोगों ने खेली कीचड़ भरी होली

 भगवान कार्तिक स्वामी के जन्म दिवस पर अच्छी फसल के लिए लोगों ने खेली कीचड़ भरी होली


मनाली : ओम बौद्ध /

पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगते सिमसा गांव में भगवान कार्तिक स्वामी के जन्मदिवस को गाांव वासियों के द्वारा बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया तथा प्राचीन परंपराओं का भी निर्वहन किया गया वही इस दौरान देवता कार्तिक स्वामी के रथ ने धान के खेत में बच्चों के संग जमकर कीचड़ में खेलते हुए भी नजर आए इस दौरान वाद्य यंत्रों के साथ पूरा माहौल भक्ति में हो गया। कार्तिक स्वामी मंदिर के पुजारी मकरध्वज शर्मा और स्थानीय निवासी टेक चंद ठाकुर ने बताया कि सदियों से चली आ रही पंरपरा को आज भी लोगों ने संजोए रखा है। उन्होंने कहा कि मनाली के सिमसा गांव में भगवान कार्तिक स्वामी का सदियों पुराना प्राचीन मन्दिर है जहां भगवान कार्तिकेय स्वामी निवास करते हैं। उन्होंने बताया कि श्रावन मास में भगवान कार्तिकेय स्वामी का रथ मंदिर से बाहर निकाला जाता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सावन मास में भगवान कार्तिकेय स्वामी के जन्मदिन के उपलक्ष पर कन्याल गांव से दी लाई जाती है तथा छयाल गांव से एक मशाल को भी भगवान कार्तिक स्वामी के मंदिर में लाई जाती है और इस दौरान यहां पर जगराते का आयोजन होता है। तथा अगले दिन देवता कार्तिक स्वामी पूरे गाँव की और हर घर की परिक्रमा करते हैं तथा इस दौरान वे गांव के मध्य में स्थित धान के एक खेत में पहुंचकर यहां पर बच्चों के साथ देव धुन पर मिट्टी में खेलते हैं और बच्चे देवता के रथ के ऊपर धान के खेत के कीचड़ को फेंकते हैं मान्यता है कि इस दौरान श्रावन मास में भगवान कार्तिकेय स्वयं खेत में धान लगाते हैं भगवान की शक्ति इतनी है कि पन्द्रह दिनों के बाद धान लग कर तैयार हो जाता है। उस धान के पहले अन्न को भगवान के मस्तक पर सजाया जाता है। उसके बाद भगवान कार्तिकेय स्वामी एक बार पुनः बच्चों और बुजुर्गो के साथ धान के खेत में मिट्टी के साथ खेलते हैं बच्चे भी खुब मस्ती करते हैं बच्चे भी देवता के रथ के ऊपर मिट्टी फैंकते है। स्थानीय निवासी टेक चंद ठाकुर ने बताया कि सिमसा गांव में वर्षों पुरानी परंपरा आज भी मनाई जाती है l लगभग पांच गांव के लोग इस उत्सव में भाग लेते हैं और देर शाम तक भजन कीर्तन करते हैं

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