कृषि विश्वविद्यालय की 112 हैक्टेयर भूमि का जबरन पर्यटन विभाग के नाम इन्तकाल करना सरकार की तानाशाही का जीता जागता उदाहरण - Smachar

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कृषि विश्वविद्यालय की 112 हैक्टेयर भूमि का जबरन पर्यटन विभाग के नाम इन्तकाल करना सरकार की तानाशाही का जीता जागता उदाहरण

 कृषि विश्वविद्यालय की 112 हैक्टेयर भूमि का जबरन पर्यटन विभाग के नाम इन्तकाल करना सरकार की तानाशाही का जीता जागता उदाहरण :-


प्रवीन कुमार पूर्व विधायक .......गत लम्बे समय से पालमपुर की स्वयं सेवी संस्थाएँ , कृषि विश्वविद्यालय का तमाम शिक्षक ,गैर शिक्षक व छात्र वर्ग , सेवा निवृत कर्मचारी , अधिकारी , बुद्धिजीवी व राजनैतिक दल कृषि विश्वविद्यालय की भूमि को पर्यटन विभाग के नाम हस्तांतरण को लेकर सड़कों पर है। इतने भारी भरकम विरोध के बावजूद भी सरकार ने जन भावनाओं को कुचल कर तानाशाही के चलते कृषि विश्वविद्यालय की 2800 कनाल जमीन को पर्यटन विभाग के नाम चढ़ा दिया । यह गम्भीर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने कहा एक तरफ टूरिजम विलेज के विरोध को लेकर जनता सडकों पर ओर दूसरी तरफ सरकार का जनता के प्रति यह बर्ताव लोकतंत्र की हत्या से कम नहीं है। पूर्व विधायक ने तहसीलदार पालमपुर की रिपोर्ट पर हैरानगी प्रकट करते हुए कहा कि जितनी जमीन कृषि विश्वविद्यालय की ली उतनी ही ज़मीन सरकार थला व भगोटला में कृषि विश्वविद्यालय को देगी । पूर्व विधायक ने कहा यही बात तो हम शुरू से कह रहे हैं कि टूरिजम विलेज के हम लोग बिलकुल विरोधी नहीं है। इसे थला - भगोटला में ही बनाया जाए । वैसे भी टूरिजम विलेज की परिभाषा में पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय नहीं थला- भगोटला ही आता है। पूर्व विधायक ने अशंका व्यक्त करते हुए कहा इतनी चीख पुकार की परवाह किए बगैर प्राइम लोकेशन पर स्थित इस जमीन के प्रति सरकार का यह निर्णय कृषि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल के साथ साथ उन्नति व पदोन्नति के लिए बाधित है तो फिर कहीं यह हाथी के दांत खाने के ओर दिखाने के ओर वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए बहुत बड़ी सौदेबाजी की ढील तो नहीं !

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