सिद्ध बाबा शिब्बो थान मंदिर का प्राचीन इतिहास जानिए - Smachar

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सिद्ध बाबा शिब्बो थान मंदिर का प्राचीन इतिहास जानिए

सिद्ध बाबा शिब्बो थान मंदिर का  प्राचीन इतिहास जानिए 





( भरमाड़ : राजेश कतनौरिया )

हिमाचल प्रदेश देवभूमि है हिमाचल प्रदेश में सबसें प्राचीन एवं श्रद्धा व आस्था के प्रतीक अनगिनत चमत्कारी स्थान एवं देवी देवताओं के मन्दिर है  ! हिमाचल प्रदेश में कुछेक ऐसे सुप्रसिद्ध नाग मन्दिर है जहां जंगली व विषैले सांपो  के विष का निवारण होता है । इसमें सिद्ध बाबा शिब्बो थान मंदिर भरमाड़ का अपना अलग महत्व है ।  सिद्ध वावा शिव्वों थान का मन्दिर पठानकोट से 40 किलोमीटर व ज्वालीमुखी से 60 किलोमीटर , कांगडा से 65 किलोमीटर व गगल एयरर्पोट से 45 किलोमीटर व पौंग बांध से 38 किलोमीटर दूर भरमाड - रैहन सर्म्पक मार्ग के किनारे एवं कांगडा घाटी रेलवे मार्ग के स्टेशन भरमाड से 150 मीटर की दूरी पर जिला कांगडा की ज्वाली तहसील के गांव भरमाड में स्थित है। भारत में सिद्ध बाबा शिववो थान एक मात्र ऐसा जहरवीर गोगा का स्थान है जहां उनकी आराधना बाबा शिब्बोथान के नाम से होती है । महन्त हेम राज, महन्त रविन्द्र नाथ भोला  . महंत राम प्रकाश ने मन्दिर के प्राचीन इतिहास की जानकारी देते हुए बताया की बाबा  जी शिब्बो जी का जन्म 1244 लगभग ंसिद्धपुरघाड नामक स्थान पर हुआ । इनके दो भाई व एक छोटी वहन षिव्वा थी । बाबा षिव्वो बचपन से अपंग थे और सदा भगवान की भक्ति में लीन रहते थे । इनकी बहन षिव्वा का रिस्ता नजदीक गांव में तय हुआ लेकिन विवाह से पूर्व इनकी वहन के मंगतेर की अचानक मौत हो गई । तभी इनकी वहन षिव्वा ने सोलहा सिंगार करके अपने पति के साथ सती हो गई । आज भी सिद्ध पुर घाड में माता षिव्वा देवी का मन्दिर बना हुआ है । मगंल कार्य के उपरान्त लोग कुल देवी के मन्दिर में जाकर अपनी मनत चढाते है ।मन्दिर कमेटी की ओर से भेाजन, ठहरने व पानी की  पूर्ण सुविधा उपलव्ध करवाई है । श्रावण व भादमास के हर रविवार को बाबा जी के दो माह तक  मेले  लगते  है । यह मेले  21 जुलाई से शुरू हो रहे हैं  और हर रविवार को मेला लगता है ! शनिवार, रविवार व सोंमवार को बाबा जी का संकीर्तन  होता है । प्रातःकाल एवं सांयकाल  शुद्ध पानी का लोटा ले उसमें चुटकी भर भंगारा डाल दे जिस मनोरथ के साथ प्रयोग करना है उसका सुमरण करो फिर तीन चूली चरणामृत व घर में  जन का छिड़काव कर दो । इस मंदिर  मैं सांप व बिच्छू के काटने से जो भी व्यक्ति मंदिर की पौड़ियों मैं प्रवेश कर जाता। वो बाबा के दरबार मैं ठीक होकर जाता है| जिस स्थान पर जहर का जख्म हो उसपर लेप कर दें । सब कुछ  धीरे धीरे ठीक हो जाता है |

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