बद्दी में बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रियां वर्करों का शोषण तो कर रही लेकिन पत्रकारों के साथ भी बदतमीजी पर हुए उतारू - Smachar

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बद्दी में बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रियां वर्करों का शोषण तो कर रही लेकिन पत्रकारों के साथ भी बदतमीजी पर हुए उतारू

बद्दी में बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रियां वर्करों का शोषण तो कर रही लेकिन पत्रकारों के साथ भी बदतमीजी पर हुए उतारू 

बद्दी में फिर एक बार हुई पत्रकार के साथ बदतमीजी


बद्दी में आए दिन वर्करों के साथ कंपनियां शोषण कर रही है प्रशासन की कमी के कारण जहां वर्करों को दिन-रत कंपनियों के शोषण की मार पड़ रही है जब प्रशासन नहीं सुनता है तो बद्दी नालागढ़ के मजदूर मीडिया को अपना आखरी सहारा मानते हैं और मीडिया के पास शिकायत लेकर आते हैं और मीडिया अधिकारी अपनी जान पर खेलकर कंपनी के अधिकारियों से उन वर्करों के लिए बात और उनके अधिकारों को लेकर बात करते हैं लेकिन बद्दी में अब यह आम हो गया है बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रिया वर्करों का शोषण तो कर रही है लेकिन पत्रकारों के साथ भी बदतमीजी पर उतर आ रही हैं ऐसा ही मामला आज प्रिंट एंड इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन  हिमाचल प्रदेश के स्टेट सचिव और न्यूज़ इंडिया नेटवर्क टीवी के डायरेक्टर निर्मल सिंह राणा सन फाइन हेल्थ केयर लोधीमाजरा कंपनी पहुंचे और शोषित कर्मचारियों के साथ मिले तो कंपनी के मालिक ने निर्मल सिंह राणा के साथ बदतमीजी की और गलत व्यवहार किया जिसस बद्दी के सभी  पत्रकारों में रोष प्रकट हुआ है।

 पत्रकारों ने कहा कि इस बारे एसपी बद्दी मोहित चावला से मिलेंगे और अपनी शिकायत दर्ज करवाएंगे कि हमने कंपनी मालिक को क्या ऐसा गलत बोल दिया कि कंपनी मालिक ने हमारे साथ बदतमीजी की बता दें कि बद्दी में  पत्रकारों के साथ बदतमीजी होना एक आम बात हो गई है पत्रकारों ने यह भी कहा कि पहले भी कुछ पत्रकारों के साथ बदतमीजी हुई हैं और कई बार  पुलिस प्रशासन के पास शिकायत दी गई लेकिन पुलिस ने हल्की-फुल्की कार्रवाई करके ही छोड़ दिया लेकिन अब लगता है कि पुलिस को पत्रकारों के साथ भी न्याय करना पड़ेगा और कड़े से कड़ा एक्शन लेकर इन कंपनी मालिकों के ऊपर केस दर्ज किया जाए सभी पत्रकारों ने कहा कि चौथा स्तंभ मीडिया है जो  हर आम नागरिक की आवाज सरकार तक पहुंचाता है लेकिन ऐसी धुरंधर कंपनियां गलत के साथ-सथ वर्करों का शोषण करती है फिर जब मीडिया कर्मचारी वर्गों की आवाज उठाने के पास जाते हैं तो इनके साथ ही बदतमीजीया होनी शुरू हो जाती हैं क्योंकि इन कंपनियों को किसी भी तरह का डर नहीं है कंपनियां पत्रकारों को उल्टी-सीधी धमकियां देती है तो पत्रकार कैसे स्वतंत्रता होकर लिख सकता है

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