छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही प्रदेश सरकार : पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर
छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही प्रदेश सरकार : पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर
मनाली : ओम बौद्ध /
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश के 447 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों से परीक्षा केंद्र खत्म करने की तैयारी को छात्र हितों पर सीधा हमला करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम न केवल शिक्षा व्यवस्था को अस्थिर करेगा बल्कि हजारों छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल देगा। ठाकुर ने आरोप लगाया कि जिस तरह से सरकार शिक्षा बोर्ड को राजस्व वसूली का साधन बनाने पर तुली है, वह यह साबित करता है कि सरकार अपनी आर्थिक नाकामियों की भरपाई शिक्षा से कर रही है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि वर्षों से परीक्षा केंद्र के रूप में कार्यरत स्कूलों पर अचानक से अव्यावहारिक शुल्क थोप दिया गया है। नई व्यवस्था के तहत 10वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए नए परीक्षा केंद्र बनाने की फीस ₹12,000 कर दी गई है, जबकि पहले यह शुल्क केवल ₹3,000 लिया जाता था। इतना ही नहीं, पहले केंद्र नवीनीकरण के लिए कोई राशि नहीं देनी पड़ती थी, लेकिन अब ₹3,000 केंद्रीय राजस्व फीस लगा दी गई है। ठाकुर ने इसे एक ऐसी नीति बताया जिससे विद्यालयों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ बढ़ा है और छोटे-बड़े विद्यालयों के लिए यह राशि तुरंत जमा करना संभव नहीं है। स्थिति को और गंभीर बनाते हुए सरकार ने विद्यालयों द्वारा छात्रों से विभिन्न गतिविधियों के लिए एकत्र की गई धनराशि और उसका ब्याज भी वापस ले लिया है, जिससे अनेक विद्यालय बढ़ी हुई फीस जमा करने में असमर्थ हो गए हैं। इस कारण उन्हें शिक्षा बोर्ड की तरफ से लगातार चेतावनियाँ मिल रही हैं कि यदि समय पर राशि नहीं दी गई तो परीक्षा केंद्र समाप्त कर दिए जाएंगे।
पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि परीक्षा केंद्रों के समाप्त होने से छात्रों के समक्ष भारी चुनौतियाँ पैदा होंगी। अपने ही विद्यालय में परीक्षा देने की सुविधा खत्म होने से विद्यार्थियों को अन्य विद्यालयों या दूर-दराज़ के क्षेत्रों में परीक्षा देने जाना पड़ेगा। इससे अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा और छात्रों के मानसिक तनाव में भी बढ़ोतरी होगी।
गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि बीते तीन वर्षों में प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में लगभग एक लाख छात्रों की कमी दर्ज की गई है और करीब 1,500 स्कूल बंद हो चुके हैं। यह आंकड़े पहले ही शिक्षा व्यवस्था की गिरती गुणवत्ता को दिखा रहे हैं, ऐसे में परीक्षा केंद्र समाप्त करने का निर्णय छात्रों की समस्याओं को और गहरा करने वाला है। उन्होंने शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से मांग की है कि वह इस निर्णय को तुरंत वापस लें और छात्र हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए शिक्षा व्यवस्था को राजनीतिक प्रयोगों से मुक्त रखें।


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