हिमाचल में मानवाधिकार आयोग के गठन की उठी मांग
हिमाचल में मानवाधिकार आयोग के गठन की उठी मांग
गरीब व कमजोर तबके को नहीं मिल रहा न्याय, संगठनों ने सरकार से की तत्काल कार्रवाई की अपील
नेरचौक : अजय सूर्या /
हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग के गठन की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। अखिल भारतीय दलित पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग परिषद सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को संयुक्त बयान जारी कर सरकार से तत्काल आयोग स्थापित करने की अपील की। उनका कहना है कि प्रदेश में बढ़ते अपराधों और न्यायिक प्रक्रियाओं की जटिलता के बीच गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को न्याय पाना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है।
बयान जारी करने वालों में परिषद के महासचिव व राज्य प्रवक्ता चमन राही, वाल्मीकि समाज सुधार संस्थापक चंद्रवीर कागरा, अल्पसंख्यक समाज संयोजक सन्नी ईप्पन, महिला विंग अध्यक्ष धर्मी देवी, महासचिव सोयब अख्तर, संगठन सचिव अशोक नागवंशी, विश्वकर्मा समाज संयोजक सूबेदार रणवीर सिंह, पिछड़ा वर्ग सह संयोजक कर्मसिंह सैनी तथा पूर्व सेवादल प्रदेश सचिव यशवंत गुलेरिया शामिल रहे।
प्रतिनिधियों ने कहा कि मानवाधिकार आयोग न होने के कारण पीड़ितों को न्याय के लिए कचहरी और दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं, जिससे समय और धन दोनों की भारी हानि होती है। कई गरीब परिवार ऐसे हैं जो वकीलों की फीस तक वहन नहीं कर पाते। ऐसे में आयोग एक सुलभ और प्रभावी मंच साबित हो सकता है।
परिषद के महासचिव चमन राही ने कहा कि आयोग का गठन विशेष रूप से कमजोर वर्गों, महिलाओं और वंचित समुदायों के हितों की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि मंडी जिला से संबंध रखने वाले तथा हिमाचल हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस धर्मचंद चौधरी को मानवाधिकार आयोग का चेयरमैन बनाया जा सकता है। राही के अनुसार, दलित समुदाय से संबंध रखने और व्यापक न्यायिक अनुभव के कारण वे इस पद के लिए उपयुक्त हैं।
चमन राही ने आरोप लगाया कि पिछली जयराम सरकार ने मानवाधिकार आयोग के गठन की अनदेखी की, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में यह मुद्दा प्राथमिकता में रखा जाता था। प्रतिनिधियों ने कहा कि अब सरकार को बिना विलंब आयोग की स्थापना की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि कमजोर तबकों को सुलभ और त्वरित न्याय मिल सके।


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