कुल्लू के अरछण्ड़ी में हरे भरे पेड़ों पर चला फेलर बंचर - Smachar

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कुल्लू के अरछण्ड़ी में हरे भरे पेड़ों पर चला फेलर बंचर

 कुल्लू के अरछण्ड़ी में हरे भरे पेड़ों पर चला फेलर बंचर 

स्थानीय लोगों ने दी आंदोलन की धमकी 


मनाली : ओम बौद्ध /

कुल्लू के अरछण्ड़ी पंचायत में हरे भरे पेड़ों को काटने का मामला सामने आया है जिस जंगल में पंचायत, महिला और युवक मंडल द्वारा लगाये गए पेड़ों को काटा जा रहा है। ग्रामीण इस कटान का पर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं कि कैसे हरे भरे पेड़ों पर मशीन चल रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग इन पेड़ों को काटने की अनुमति निजी भूमि के चलते मालिक को प्रदान की गई है जबकि पौधारोपण करते समय किसी ने भी इसे अपनी निजी भूमि बता कर अपना विरोध ही नहीं जताया था। पेड़ कटान को लेकर पहले भी 

स्थानीय पंचायत ने इसका दो तीन बार पूरजोर विरोध किया और अब शुक्रवार को पंचायत के कोरम में दोवारा इसकी जांच के लिये प्रस्ताव पारित किया गया है।पंचायत की प्रधान पुनी देवी और उपप्रधान भागेश शर्मा ने बताया कि इस मामले में गलत जानकारियां देकर पंचायत को भी भ्रमित करने का प्रयास किया गया है। स्थानीय पंचायत और लोगों ने कहा कि यह भूमि जिस परिवार को नौतोड़ में आवंटित हुई थी वह पहले नदी के तट के साथ थी, लेकिन अब उस भूमि को पेड़ काटे जाने बाले स्थान पर बताया जा रहा है जिसके चलते स्थानीय लोगों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। 1995 की बाढ़ से पहले इसे ही नौतोड़ की भूमि माना गया था परंतु बाढ़ के बाद उस भूमि को पुराने मालिक द्वारा बेचा गया और भूमि ख़रीदने वाला शख्स नदी किनारे भूमि से क्रैशर को पत्थर ले जाता रहा परंतु अब मामला कुछ उल्टा हो गया है यह भूमि यहां से उठकर आज जहां पेड़ों का कटान हो रहा है वहां पहुंच गई। 

देव सेवा संस्था के अध्यक्ष जय ठाकुर ने कहा कि इस मामले में कुप्रबंधन, मिलीभगत और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि यह भूमि यहीं थी तो फिर आज तक कब्जा नदी के किनारे भूमि पर क्यूं रहा? जय ठाकुर का कहना है कि जब वर्ष 1998-99 में यहाँ पौधारोपण किया गया और वन विभाग द्वारा तार बंदी की गई तो उस समय विरोध क्यूं नहीं किया गया ?

पंचायत उप प्रधान भागेश शर्मा ने कहा कि हमारे विरोध करने के बावजूद भी पेड़ काटे जा रहे हैं उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार और जिला प्रशासन इस पर शीघ्र संज्ञान ले, अन्यथा पंचायत वासी आंदोलन से भी गुरेज नहीं करेंगे। इधर भूमि मालिक का कहना है कि बीते जनवरी माह में राजस्व विभाग द्वारा जमीन की निशान देही करवाई गई थी उस के पश्चात ही उसके पश्चात ही पेड़ों को काटने की वन विभाग द्वारा अनुमति ली गई है इधर इस संदर्भ में जिला वन अधिकारी अंजल चौहान ने बताया कि निजी भूमि के चलते नियमों के अंतर्गत ही पेड़ काटने की अनुमति प्रदान की गई है। निजी भूमि होने के चलते विभाग 200 पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान कर सकता है।

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