नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा विधायक दल ने विधानसभा में किया विरोध
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा विधायक दल ने विधानसभा में किया विरोध
विधायक निधि जारीकरने, ट्रेजरी बिलों के भुगतान में व्याप्त कमीशन खोरी रोके सरकार : जयराम ठाकुर
पहले चुनाव से बचने के लिए इमरजेंसी लगाई गई थी अब सुक्खू लगा रहे आपदा प्रबंधन एक्ट
मुख्यमंत्री के जवानों से असंतुष्ट होकर भाजपा विधायक दल ने किया वॉक आउट
सरकार अपनी नाकामी से पूरी तरह बौखलाई, हार नजदीक देख मित्र मंडली फैला रही हैं ओपीएस पर अफवाह
जिसने अपनी जेब से एक चवन्नी नहीं दी वह किस मुंह से मांग रहे हैं आपदा राहत का हिसाब
धर्मशाला
भाजपा विधायक दल के साथ पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन कर सरकार से विधायक निधि जारी करने की मांग की। सभी विधायक नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में हाथ में बैनर और तत्ख्तियां लेकर नेता प्रतिपक्ष के कार्यालय से निकले और विधानसभा के गेट तक नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। जयराम ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बजट में घोषणा करते हैं कि विधायक निधि बढ़ा देंगे। हकीकत यह है कि महीनों से विधायक निधि का पैसा जारी नहीं किया जा रहा है जिसकी वजह से विधानसभा क्षेत्र में विकास के काम रुके पड़े हैं। आपदा की वजह से हर जगह नुकसान हुआ है और सरकार आपदा राहत के लिए कुछ कर नहीं रही है। ऐसे में विधायक निधि ही आपदा राहत के लिए एक तत्कालीन सहायता थी जो अब बंद हो गई है। विधायक निधि के तहत भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने संबंधित विभाग को चिट्टियां जारी कर दी लेकिन बजट अभी तक नहीं पहुंचा। इसकी वजह से उहापोह की स्थिति बन रही है और लोग परेशान हो रहे हैं इसलिए सरकार जल्दी से जल्दी विधायक निधि जारी करें और तानाशाही बंद करें।
जयराम ठाकुर ने कहा कि ट्रेजरी से भुगतान बंदहै। सरकार के खास लोगों ने सुविधा शुल्क दो और भुगतान लो की योजना चलाई हुई है। सरकार के खास लोग पैसा लेकर ठेकेदारों का पैसा निकलवा रहे हैं। जो ठेकेदार पैसा देने में असमर्थ हैं वह अपने भुगतान के लिए तरस रहे हैं। उन्हें अपने परिवार को पालने और बच्चों के पढ़ाई के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। सुख की सरकार के संरक्षण में भ्रष्टाचार की सारी हदें टूट गई है। भुगतानों के कमीशन में का रैकेट चलाने वाले इस तरह से कैसे राज कर रहे हैं? ऐसे लोगों को किसका संरक्षण है और वह पैसा कहां तक जा रहा है इसके बारे में मुख्यमंत्री को बताना होगा। हिमाचल प्रदेश में इस तरीके की अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जयराम ठाकुर ने मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करते हुए कहा कि यह सरकार अभी से अपनी प्रचंड हार देखकर घबरा गई है। इसलिए सरकार झूठ और फरेब के साथ-साथ अफवाह फैलाने का काम कर रही है। मुख्यमंत्री की मित्र मंडली विधानसभा में बोले गए हमारे शब्दों को अनैतिक रूप से काट–छांटकर ओपीएस से जोड़ रही है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और गिरी हुई हरकत है। हमने या हमारे किसी भी विधायक ने ओल्ड पेंशन स्कीम से जुड़ा एक भी शब्द नहीं बोला है। उसके बाद भी कुछ लोग माहौल बनाने की कोशिश में है। सरकार के पास बताने के लिए अपनी एक भी उपलब्धि नहीं है और अपनी करारी हार आने वाले चुनाव में देखकर मुख्यमंत्री की मित्र मंडली झूठ का सहारा ले रही है। उनका यह झूठ चलने वाला नहीं है। इसी के साथ ही प्रदेश की जनता का करोड़ों रुपए खर्च करके मुख्यमंत्री की मित्र मंडली भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ दुष्प्रचार करने और घटिया टिप्पणी करने जैसे कार्य करती है। मुख्यमंत्री को अपने मित्रों को बताना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश की ऐसी संस्कृति नहीं है। हिमाचल के लोग वक्त आने पर इसका जवाब सरकार को देंगे।
पंचायत चुनाव को लेकर धारा 67 के तहत मंत्री द्वारा दिए गए जवाब से संतुष्ट होकर भाजपा विधायक दल ने वॉक आउट किया। मीडिया से बात करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि जिस तरीके से प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने अपनी लोकप्रियता को देने और चुनाव से बचने के लिए आपातकाल लगाया था उसी तरीके से मुख्यमंत्री पंचायत चुनाव से बचने के लिए आपदा प्रबंधन एक्ट का सहारा ले रहे हैं। जबकि आपदा प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रहे हैं। आपदा आने के पहले से ही पंचायत चुनाव को लेकर जो काम होने चाहिए थे वह नहीं हुए। मुख्यमंत्री ने पंचायत चुनाव से बचने के लिए ही आपदा प्रबंधन एक्ट लागू किया है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि यदि सरकार को आपदा का इतना दु:ख होता तो वह अपने 3 साल की नाकामी का जश्न नहीं मनाती। प्रदेश सरकार और प्रशासन की मशीनरी का पूरा ध्यान आपदा प्रभावितों को राहत देने की बजाय जश्न की तैयारियों में लगा है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में घंटों लंबी मीटिंग्स चलती हैं। उस बैठक में तय होता है कि मंच पर कौन बैठेगा, मंच पर कौन नहीं बैठेगा, पैसा जो खर्च होगा वह कहां से खर्च होगा, उसे समारोह का कार्ड कैसे छपेगा, कौन से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे? इस जश्न का प्रचार प्रसार कैसे होगा? सरकार में तनिक भी लज्जा होती तो यह जश्न मनाने के बजाय आपदा प्रभावितों की जख्मों पर मरहम लगाने का काम करती। जबकि जश्न के लिए मीटिंगों का दौर जारी है। कर्मचारी वेतन के लिए प्रदर्शन करते हैं तो पेंशनधारी पेंशन और मेडिकल बिल के लिए सड़कों पर धरना देते हैं, लेकिन सरकार आपदा में अपनी जान गवा चुके लोगों की लाशें और उनके पीछे रह चुके लोगों की चीखों पर जश्न मनाने पर मशगूल है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का विधायक दल सदन में किसी भी मंत्री और विधायक की बदतमीजी सुनने को बाध्य नहीं है। इसलिए सदन में यदि कोई मंत्री बदतमीजी से बात करेगा। मर्यादा के के विपरीत आचरण करेगा भारतीय जनता पार्टी उसका बहिष्कार करेगी। सरकार की मुख्यमंत्री की कोई मजबूरी या कोई कमजोरी होगी कि वह विधानसभा के अंदर और बाहर मंत्री की बदतमीजी बर्दाश्त करें लेकिन भारत का जनता पार्टी की ऐसी कोई मजबूरीनहीं है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी मर्यादा के अनुकूल आचरण करने वाले मंत्रियों का बहिष्कार करेगी। इस संबंध में जयराम ठाकुर भाजपा विधायकों के साथ विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के चेंबर में मुलाकात की और बदतमीजी करने वाले मंत्री के बहिष्कार करने के बारे में अवगत करवाया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कुछ लोगों के दिमाग में घटिया सोच बस गई है, उन्हें इसका इलाज करवाना चाहिए। आपदा के दौरान देशभर के भाजपा की सरकारों ने आपदा राहत सामग्री और आर्थिकसहायता दी। भारतीय जनता पार्टी के एक-एक मंडल से हमारे कार्यकर्ताओं ने पैसा जमा करके आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाया। अपने कंधे पर तीस किलो की बोरियां लेकर हमारे कार्यकर्ता दस–दस किलोमीटर तक चले हैं। लेकिन कांग्रेस के नेता आपदा प्रभावितों द्वारा सही कराई गई सड़कों का बिल अपने नाम बनवाने पर मशगूल रहे। जिन्होंने आपदा प्रबलताओं के लिए नगर धनराशि किसी भी प्रकार से दी उन्हें पत्र के माध्यम से आपदा प्रभावितों को दिए गए धनराशि का ब्यौरा उपलब्ध करवाया गया है। जिन्होंने पैसा दिया हमने ज्यादातर धनराशि उनके या उनके प्रतिनिधियों के सामने बांटी। जो आपदा प्रभावितों को एक चवन्नी भी अपनी जेब से नहीं दे पाए वह किस मुंह से हिसाब मांग रहे हैं? ऐसे बेशर्म लोग किस बात का हिसाब मांग रहे हैं। ऐसी बेशर्मी हमने आज तक नहीं देखी जो आपदा प्रभावितों को मरहम देने की बजाय मुकदमा करती है।


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