जनजातीय गौरव दिवस पर मैहला में बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम, जनसेवा और संघर्ष पर हुआ विस्तृत विमर्श - Smachar

Header Ads

Breaking News

जनजातीय गौरव दिवस पर मैहला में बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम, जनसेवा और संघर्ष पर हुआ विस्तृत विमर्श

 जनजातीय गौरव दिवस पर मैहला में बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम, जनसेवा और संघर्ष पर हुआ विस्तृत विमर्श

जनजातीय नेताओं के इतिहास और योगदान को संरक्षित करने के केंद्र सरकार के प्रयास सराहनीय — जनक राज, सत्येंद्र सिंह


चंबा, भरमौर : जितेन्द्र खन्ना /

 मैहला क्षेत्र के जालपा मंदिर परिसर में बनवासी कल्याण आश्रम के तत्वाधान में भगवान बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम भव्य रूप से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में बनवासी कल्याण आश्रम प्रकल्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह और भाजपा नेता एवं विधायक डॉ. जनक राज ने विशेष रूप से शिरकत की। दोनों वक्ताओं ने बिरसा मुंडा के संघर्ष, उनके आदिवासी समुदाय के पुनर्जागरण में योगदान और राष्ट्र के प्रति उनके अविस्मरणीय त्याग पर विस्तार से प्रकाश डाला


विधायक डॉ. जनक राज ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस उन करोड़ों अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों के योगदान, इतिहास और संस्कृति को राष्ट्रीय पटल पर प्रमुखता देता है, जो लंबे समय तक उपेक्षित रहे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार बिरसा मुंडा सहित सभी जनजातीय नेताओं की विरासत को संरक्षित करने के लिए 11 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय बना रही है, ताकि उनके संघर्ष और योगदान को राष्ट्र की सामूहिक चेतना में शामिल किया जा सके।

उन्होंने कहा कि ये प्रयास “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को मजबूत करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि देश का हर समुदाय विकास और पहचान की मुख्यधारा से जुड़े।


वहीं, बनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने कहा कि भारत के जनजातीय नेताओं ने ब्रिटिश हुकूमत और सामंतीय शोषण के खिलाफ निर्णायक संघर्ष किया, लेकिन मुख्यधारा के इतिहास में कई जनजातीय आंदोलनों को उचित स्थान नहीं मिला। उन्होंने बताया कि सरकार ने इन आंदोलनों और जनजातीय नायकों की महागाथा को संरक्षित करने के उद्देश्य से संग्रहालय स्थापित करने का निर्णय लिया है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इनके संघर्षों और योगदान से परिचित कराया जा सके।


उन्होंने बताया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय देशभर में जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को सहायता योजना के तहत इन संग्रहालयों की स्थापना के लिए राज्य सरकारों को धन उपलब्ध कराता है, जिससे आदिवासी समुदाय के गौरवशाली इतिहास का दस्तावेजीकरण और संरक्षण सुनिश्चित हो सके।


कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और जनजातीय समुदाय के सदस्य उपस्थित रहे।

कोई टिप्पणी नहीं