गुरु द्वारा बताए मार्ग को जीवन में अपनाना, और आत्मोन्नति का प्रयास करना ही शिष्य धर्म:- स्वामी हरीशानंद
गुरु द्वारा बताए मार्ग को जीवन में अपनाना, और आत्मोन्नति का प्रयास करना ही शिष्य धर्म:- स्वामी हरीशानंद
नूरपुर : विनय महाजन /
नूरपुर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा नूरपुर में साप्ताहिक आध्यात्मिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया , विचारो में गुरु भक्ति, गुरु चरणों में श्रद्धा एवं जीवन में आध्यात्मिक जागरण के महत्व पर अत्यंत प्रभावशाली चर्चा हुई। यह भव्य कार्यक्रम श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति में नुरपुर आश्रम में आयोजित हुआ l इसी अवसर पर आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी हरिशानंद ने अपने ओजस्वी प्रवचन में कहा कि गुरु केवल उपदेशक नहीं, बल्कि जीवन के अंधकार में पथ प्रदर्शक दिव्य ज्योति हैं। जब शिष्य अपने गुरु के चरणों में विश्वास, समर्पण और निष्ठा रखता है, तभी आत्मिक यात्रा में प्रगति संभव होती है। उन्होंने बताया कि गुरु भक्ति का अर्थ केवल पूजन या सम्मान नहीं, बल्कि अपने जीवन में गुरु द्वारा बताए मार्ग को अपनाना, बुराइयों का त्याग करना और आत्मोन्नति का प्रयास करना हैl उन्होंने आगे कहा कि मानव जीवन का वास्तविक सार तभी प्रकट होता है, जब शिष्य अपनी दृष्टि को भीतर की ओर मोड़कर आत्मज्ञान की अनुभूति करता है। इस अनुभूति का द्वार केवल सद्गुरु ही खोल सकते हैं। इसलिए गुरु चरणों में विश्वास शिष्य के लिए सर्वोच्च आधार हैl कार्यक्रम में रमन और सुदेश जी ने मधुर भजनों की प्रस्तुति देकर वातावरण को पूर्णत: आध्यात्मिक बना दिया। “गुरु चरणों में है मोक्ष का द्वार”, “गुरु भक्ति से मिटे अज्ञान का अंधकार” जैसे भजनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं के मन को गहराई तक स्पंदित किया। भजनों के पश्चात हरिशानंद ने श्रोताओं को गुरुकृपा के चमत्कारों के उदाहरणों द्वारा बताया कि किस प्रकार गुरु की शरण में आने वाला व्यक्ति जीवन के हर संघर्ष को सहजता से पार कर लेता है। उन्होंने यह संदेश दिया कि गुरु का दिया हुआ ज्ञान ही वास्तविक धरोहर है, जो जीवन को नई दिशा देकर आत्मिक बल प्रदान करता है।कार्यक्रम के अंत में सभी श्रद्धालुओं के लिए विश्व शांति के लिए सतत ध्यान किया, तथा गुरु महाराज के चरणों में समर्पण भाव से प्रणाम करते हुए सभी ने विश्व और मानव कल्याण की कामना की।


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