70 वर्षों से न्याय के लिए भटक रहे पोंग बांध विस्थापितों की व्यथा पर गरजे राकेश सिंघा
70 वर्षों से न्याय के लिए भटक रहे पोंग बांध विस्थापितों की व्यथा पर गरजे राकेश सिंघा
कत्ल करने वालों को भी ऐसी सजा नहीं दी जाती । यहां तो तीन पीढ़ियां जिंदा ही मार दी गई जो जीवित हैं वो जीवित तो हैं परंतु जिंदा लाश हैं नूरपुर प्रदेश मे कुछ पटवारी के पास व कुछ डीसी के पास व कुछ सुप्रीम कोर्ट में तथा कुछ हाई कोर्ट में और कुछ जोधपुर कोर्ट में आज भी न्याय के लिए पोंग बांध विस्थापित भटक रहे हैं । प्रदेश के जिला कांगड़ा में पोंग बांध वनाने के लिये लगभग 339 गांव डूब गएl लगभग 75 हजार एकड़ जमीन चली गई जिससे आज रेगिस्तान में हरियाली आ गई l पंजाब की भूमि उपजाऊ बन गई।लेकिन पौंग बांध इलाके के अंदर अंधेरा ही अंधेरा छाया रहा और इसके एवज में 70 साल में पीड़ा ही पीड़ा मिली l किसी भी सरकार ने आजतक पोंग बांध विस्थापितो के हितो की नब्ज को नही जाना l सियासी पार्टियों ने सदा वोट की राजनीति की l प्रदेश किसान सभा के सचिव व पूर्व विधायक ठियोग राकेश सिंघा ने पौंग बांध विस्थापितों के साथ राजा का तालाब क्षेत्र में हुई बैठक में दहाड़ते हुए भारत सरकार और राज्य सरकार की इस मामले में कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इन्होंने सदा पोंग बांध विस्थापितों के लिए कागजों में ही कमेटीया बनाकर कार्यवाही की है जबकि धरातल पर कोई खास परिणाम स्पष्ट नजर नहीं आया l उन्होंने कहा कि जो राजस्थानी चोर के साथ खड़ा नहीं होगा उसे पौंग बांध विस्थापितों के साथ खड़ा करेंगे। 70 साल से कोई नहीं मानता,कोई नहीं सुनता ऐसे आश्वासन मिलते रहे और पोंग बांध विस्थापित अपनी भूमि से उजड़ गएl पौंग बांध विस्थापित अभी भी उम्मीद पाले हुए हैं क्या इसका समाधान होगा? उन्होंने कहा कि चोर बाजारी , रिश्वत खोरी को बेनकाब किया जाएगा। और रिकॉर्ड किया जाएगा कि पौंग बांध विस्थापितों के साथ धोखाधड़ी हुई है।उन्होंने कहा कि 1992 में जब एक कैबिनेट सेक्रेटरी के पास पौंग बांध विस्थापितों का माला गया।तो उसने उसके जवाब में लिखा कि देश में इस तरह का यह पहला और अनोखा मामला है। कि हिमाचल के बेशकीमती हल्दून घाटी में रहने वालों लोगों को प्रदेश से उठाकर दूसरे राज्य में बसने के फैंका जा रहा है।और वहां भी जमीन को खरीदने के लिए विवश किया गया।कहा कि पौंग बांध विस्थापितों की समस्याओं के समाधान को लेकर एक जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा जिसके लिए सभी कमेटियों के साथ समन्वय बिठाया जाएगा जिसके लिए अगली बैठक राजा का तालाब में 18 दिसंबर को रखी गई है । जबकि किसान, मजदूर 26 नवंबर को विधान सभा सत्र के दौरान संघर्ष करने वाले हैं जिसमें पौंग बांध विस्थापितों का मुद्दा जोर शोर से उठाया जाएगा और मुख्यमंत्री को इस बारे में एक ज्ञापन सौंपा जाएगाl पूर्व विधायक राकेश सिंह आज रियाली क्षेत्र में किसी कार्यक्रम से गए थेl इस मौके पर अस्थाई कनवीनर कमेटी भी बनाई गई जिसमें मुख्य संचालक प्रेम चंद नूरपुर, सह संचालक कैप्टन अनिल कुमार राजा का तालाब, कंपाइलर पंकज दर्शी, डॉ अशोक सोमल, सहयोग कंपाइलर अशोक कटोच को बनाया गया।वहीं जिला कांगड़ा की सभी तहसीलों में कस्बों में एक एक कनवीनर बनाने की राय बनी ।


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