सीटू की मंडी जिला कमेटी का धरना-प्रदर्शन, राष्ट्रपति को भेजा गया ज्ञापन — मजदूर विरोधी चार लेबर कोड वापस लेने की मांग - Smachar

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सीटू की मंडी जिला कमेटी का धरना-प्रदर्शन, राष्ट्रपति को भेजा गया ज्ञापन — मजदूर विरोधी चार लेबर कोड वापस लेने की मांग

 सीटू की मंडी जिला कमेटी का धरना-प्रदर्शन, राष्ट्रपति को भेजा गया ज्ञापन — मजदूर विरोधी चार लेबर कोड वापस लेने की मांग


मंडी : अजय सूर्या /

सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) की मंडी जिला कमेटी ने केन्द्रीय कमेटी के आह्वान पर शुक्रवार को श्रम अधिकारी के कार्यालय के बाहर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान सीटू कार्यकर्ताओं ने सरकार की श्रम नीतियों के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते हुए श्रम अधिकारी के माध्यम से देश की राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में भारत सरकार द्वारा लागू किए जा रहे चार लेबर कोड को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की गई।


सीटू नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार इन श्रम संहिताओं को “मज़दूर-हितैषी” और “आधुनिकीकरण” का नाम देकर पेश कर रही है, जबकि वास्तव में ये आजादी के बाद बड़ी लड़ाइयों के बाद हासिल किए गए मज़दूरों के अधिकारों को कमजोर करने का सबसे बड़ा प्रयास हैं। नेताओं ने कहा कि 29 पुराने श्रम कानूनों को चार कोड में समेटने की बात दरअसल सुरक्षात्मक प्रावधानों को खत्म करने का बहाना है, जिससे कॉर्पोरेट शोषण, ठेका प्रथा और बिना रोक-टोक नौकरी से निकाले जाने का रास्ता आसान होगा।


नेताओं ने वेज कोड को भी मज़दूर-विरोधी बताते हुए कहा कि यह वैज्ञानिक लिविंग वेज सुनिश्चित नहीं करता। नेशनल फ्लोर लेवल वेज की अस्पष्टता से कई राज्यों में न्यूनतम मजदूरी घटने का खतरा है। कमजोर निरीक्षण प्रणाली के कारण पहले से ही न्यूनतम मजदूरी से कम पाने वाले लाखों मजदूर सुरक्षित नहीं हो पाएंगे। स्कीम वर्करों को न्यूनतम वेतन के दायरे से बाहर रखना भी बड़ा अन्याय बताया गया।


ईएसआईसी सुविधाओं, स्वास्थ्य सुरक्षा, मजदूरी भुगतान, महिला श्रमिकों की सुरक्षा, निश्चित अवधि रोजगार तथा संघीकरण के अधिकारों से संबंधित प्रावधानों को भी सीटू नेताओं ने मजदूरों के हितों के खिलाफ करार दिया। उन्होंने कहा कि ये कोड नौकरी की सुरक्षा खत्म करते हैं और कार्यबल को अनिश्चितता की ओर धकेलते हैं।


धरने में सीटू जिला महासचिव राजेश शर्मा सहित सुरेश सरवाल, तिलक राज, गोपेंद्र, राजेंद्र, राकेश कुमार, नीलम और अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि मजदूर विरोधी नीतियां वापस नहीं ली गईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

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