गोहर के घनियाड़ी गाँव से मायानगरी तक : संजय शर्मा बने टीवी धारावाहिक ‘शिवशक्ति’ में अग्निदेव
गोहर के घनियाड़ी गाँव से मायानगरी तक : संजय शर्मा बने टीवी धारावाहिक ‘शिवशक्ति’ में अग्निदेव
संस्कृत गुरुकुल से ड्रामा स्कूल और मुंबई तक का प्रेरक संघर्ष, मंडी के बेटे ने बढ़ाया प्रदेश का मान
सुन्दरनगर : अजय सूर्या /
मंडी जिला के गोहर उपमंडल के घनियाड़ी गांव से ताल्लुक रखने वाले संजय शर्मा ने मेहनत, लगन और संस्कृत व नाट्य कला की साधना के बल पर छोटे से गांव से निकलकर मायानगरी मुंबई तक पहुंचकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इन दिनों वे कलर्स टीवी पर प्रसारित हो रहे चर्चित धारावाहिक ‘शिवशक्ति’ में अग्निदेव का प्रभावशाली किरदार निभा रहे हैं, जिसे दर्शकों से भरपूर सराहना मिल रही है। उनकी इस उपलब्धि से परिवार सहित पूरे क्षेत्र में खुशी और गर्व का माहौल है। इस उपलब्धि के लिए संजय शर्मा ने अपने परिवार एवं गुरुजनों सहित फ़ीट ऑफ फायर अकेडमी सुन्दरनगर के प्रबंध निदेशक व यूथ आईकॉन अमित भाटिया का भी विशेष धन्यबाद किया है जिनके मार्गदर्शन में उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। संजय शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत गुरुकुल से हुई। बचपन से ही उन्हें संस्कृत भाषा, शास्त्रों और मंचीय अभिव्यक्ति में गहरी रुचि रही। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, वेदव्यास परिसर में प्रवेश लिया, जहां से व्याकरण विषय में शास्त्री और आचार्य की उपाधि प्राप्त की। इसी दौरान वे संस्कृत थिएटर से जुड़े रहे और मंचीय अभिनय के जरिए अपनी कला को निखारते रहे। अभिनय को और परिष्कृत करने के लिए संजय शर्मा ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, भोपाल से नाट्य शास्त्र में आचार्य की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उनका चयन देश की प्रतिष्ठित भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ में मास्टर इन ड्रामेटिक आर्ट्स के लिए हुआ। यहां मिले कठोर प्रशिक्षण और अनुभवी गुरुओं के मार्गदर्शन ने उनके अभिनय को पेशेवर पहचान दी। प्रशिक्षण के बाद संजय शर्मा मुंबई पहुंचे। शुरुआती संघर्ष के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार ऑडिशन देते रहे। मेहनत रंग लाई और उन्हें बहुचर्चित कलर्स टीवी के शो ‘शिवशक्ति’ में अग्निदेव का महत्वपूर्ण किरदार निभाने का अवसर मिला। संजय शर्मा के पिता डोलू राम शर्मा पंडिताई का कार्य करते हैं और परिवार ने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया। संजय शर्मा की सफलता यह संदेश देती है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत सच्ची हो तो सीमित संसाधन भी राह नहीं रोक सकते। उनकी यह उपलब्धि मंडी जिला ही नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनकर सामने आई है।


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