ज्वाली लक्ष्मी नारायण मंदिर में रुक्मणी और श्री कृष्ण का विवाह हुआ संपन्न
ज्वाली लक्ष्मी नारायण मंदिर में रुक्मणी और श्री कृष्ण का विवाह हुआ संपन्न
हिमाचल प्रदेश जिला कांगड़ा के ज्वाली उपमंडल में ज्वाली में स्थित पौराणिक श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का अनुष्ठान ज्वाली के ही नरेश चौहान पुत्र उत्तम सिंह द्वारा रखवाया गया आपको बता दें कि आज श्रीमद् भागवत की कथा छठे दिन में प्रवेश कर गई इससे पूर्व कथावाचक पंडित मोहन भारद्वाज ने श्रीमद्भागवत के महात्म्य का सुंदर वचनों में लोगों के सामने रखा जिसमें उन्होंने विष्णु भगवान के विभिन्न विभिन्न अवतारों के विषय से श्रोताओं को अवगत करवाते हुए इस अमृत तुल्य श्रीमद्भागवत का रसपान करवाया उन्होंने कहा कि धन्य है वह विशेष व्यक्ति जो जनकल्याण की भावना से इस श्रीमद् भागवत कथा का अनुष्ठान करवाते है।
उनका कहना है कि जितने भी यज्ञ अनुष्ठान हैं वह केवल प्राणी मात्र देहधारी प्राणी का उद्धार करते हैं परन्तु श्रीमद्भागवत कथा एक ऐसी कथा है जिसका श्रवण अगर पिशाच योनी का प्राणी भी कर ले तो उसे भी भगवान विष्णु का अनुग्रह प्राप्त होता है और वह मोक्ष का अधिकारी बनता है। उनका कहना है कि धन्य है वह माता-पिता जिन्होंने ऐसे पुत्र को जन्म दिया है जो कि जनकल्याण की भावना से इस ज्वाली के पौराणिक श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में इस अनुष्ठान को करवा रहे हैं ।
आज इस कथा में भगवान की विभिन्न लीलाओं का वर्णन करते हुए भगवान की गोपियों संग रासलीला, गोवर्धन पर्वत को उठा कर गिरधारी नाम से इस जगत में विख्यात हुए तो वही अक्रूर जी की भक्ति व मथुरा में कुब्जा का भगवान श्री कृष्ण को माथे पर चन्दन का तिलक करने पर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कुब्जा को सौंदर्य प्रदान करना तो वहीं मथुरा में विभिन्न विभिन्न लीला करके राक्षसों का वध करके मल युद्ध में कंस के प्राण हर के देवकी और वासुदेव को बंधन मुक्त भी करवाया और अंततः इस कथा आज की कथा को विराम देते हुए पंडित मोहन भारद्वाज ने भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणी का हरण कर रुक्मणी के साथ भगवान श्रीकृष्ण विवाह के परिण्य सूत्र में बंधे और पंडाल में बैठे श्रोता गण भगवान के भजनों पर झूम उठे। कल श्री मद् भागवत कथा का समापन होगा,कथा सुबह 11:00 बजे शुरु होगी तदोपरान्त विशाल भण्डारे का आयोजन होगा ।आप सभी इलाका वासी कथा व भण्डारे में आकर पंडाल की शोभा बढ़ाएं।
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