बहादुर जवानों ने सदैव महान बलिदान देकर गौरवशाली इतिहास रचा है : एसएसपी सुहैल कासिम मीर - Smachar

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बहादुर जवानों ने सदैव महान बलिदान देकर गौरवशाली इतिहास रचा है : एसएसपी सुहैल कासिम मीर

पंजाब पुलिस के बहादुर जवानों ने सदैव महान बलिदान देकर गौरवशाली इतिहास रचा है : एसएसपी, सुहैल कासिम मीर

बटाला पुलिस ने शहीदी दिवस के अवसर पर देश की खातिर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बहादुर पुलिसकर्मियों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी




 ( बटाला : अविनाश शर्मा, निखिल मैहरा ) 

पंजाब पुलिस के बहादुर जवानों ने हमेशा राज्य और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखते हुए महान बलिदान देकर एक गौरवशाली इतिहास रचा है। यह खुलासा एसएसपी बटाला सुहैल कासिम मीर ने आज स्थानीय पुलिस लाइन में पुलिस शहीदी दिवस के अवसर पर शहीद पंजाब पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने संबोधन के दौरान किया। हरप्रीत सिंह, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, बटाला, विक्रमजीत सिंह, एसडीएम, बटाला, सुश्री जसवन्त कौर, एसपी (एच), समूह डीएसपी, समूह एसएच उज और शहीद जवानों के परिवार के सदस्य और पूर्व पुलिस अधिकारी उपस्थित थे। 

एसएसपी सुहैल कासिम मीर ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि शहीद देश और कौम की पूंजी हैं और पूरा देश हमेशा अपने शहीदों का ऋणी रहेगा |

उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए बहुत बहादुरी से लड़ाई लड़ी है और पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी से लेकर जवान तक ने शहादत का जाम पिया है. 

एसएसपी बटाला ने आगे कहा कि शहीदों के परिवार हमारे अपने परिवार हैं और पुलिस विभाग हर दुख-सुख की घड़ी में शहीदों के परिवारों के साथ खड़ा है |

एसएसपी बटाला ने 21 अक्टूबर के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि 1959 में चीनी सीमा पर गश्त कर रही सीआरपीएफ यूनिट पर लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स पर चीनी सैनिकों ने घात लगाकर हमला किया था, जिसका हमारे देश के जवानों ने बड़े साहस और बहादुरी से मुकाबला किया था देश की रक्षा के लिए जवान शहीद हो गए। उन शहीदों की याद में 1960 से देश के सभी पुलिस बलों और सुरक्षा बलों द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, हर साल 21 अक्टूबर का दिन उन वीर सैनिकों की याद में समर्पित किया जाता है जिन्होंने एकता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। 

इससे पहले तेजिंदरपाल सिंह, डी.एस.पी  (एच) के अधीन पुलिसकर्मियों ने शोक सलामी के दौरान अपने हथियार झुकाकर शहीद अधिकारियों और सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और दो मिनट का मौन रखा।

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