राजकीय महाविद्यालय पनारसा द्वारा एक दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
राजकीय महाविद्यालय पनारसा द्वारा एक दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस संगोष्ठी का मुख्य विषय था "स्वाधीनता आंदोलन और आदिवासी समाज"। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर स्नेह लता नेगी थीं, जिन्होंने आदिवासी समाज के इतिहास, संघर्ष और उनके योगदान के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी साझा की।
प्रो. स्नेह लता नेगी ने स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी समाज की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया कि आदिवासियों ने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी और अंग्रेजों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का हिस्सा बने। उन्होंने आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर, उनके अधिकारों और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर भी गहराई से प्रकाश डाला।
संगोष्ठी में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों से प्रोफेसर, शोधार्थी और लगभग 100 विद्यार्थी शामिल हुए। इस अवसर पर शिक्षाविदों ने आदिवासी समाज के संघर्ष और उनके योगदान पर चर्चा की और यह विचार किया कि वर्तमान समय में उनकी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
संगोष्ठी का उद्देश्य आदिवासी समाज के इतिहास और उनकी सांस्कृतिक पहचान को समाज के सामने लाना था, ताकि उनके संघर्षों और योगदानों को उचित सम्मान मिल सके। यह आयोजन एक सफल और प्रेरणादायक मंच साबित हुआ, जहां सभी उपस्थित लोगों ने इस महत्वपूर्ण विषय पर गहन विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. उर्सेम लता ने भी आदिवासी समाज के संघर्षों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. रत्न नेगी ने बताया कि इस प्रकार की संगोष्ठियाँ विद्यार्थियों को स्वाधीनता आंदोलन और आदिवासी समाज के इतिहास और संघर्ष के बारे में समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान क
रती हैं।
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