प्रधानमन्त्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना का महा आयोजन
प्रधानमन्त्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना का महा आयोजन
धर्मशाला विश्व एम एस एम ई दिवस के अवसर पर धर्मशाला स्थित डी आर डी ए हॉल में
जिला उद्योग केंद्र कांगड़ा के महा प्रबंधक श्री ओपी जरयाल की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का
आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय कार्यशाला में प्रधानमंत्री मंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण
योजना के बारे विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। इस अवसर पर निदेशालय उद्योग, शिमला
से प्रधानमंत्री खाद्य उद्यम योजना की टीम जिसमें जतिन बहल और आस्था नेगी शामिल रहे।
श्री ओपी जरयाल ने उपस्थित लोगों को स्कीम के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। बताया
गया कि 27 जून को विश्व एमएसएमई दिवस मनाया जाता है। यह दिन सूक्ष्म, लघु और मध्यम
उद्यमों के महत्व को मनाने और उनके योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है।
2017 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित, यह दिन नवाचार, रोजगार सृजन और सतत आर्थिक विकास
में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। ’पीएमएफएमई योजना’ जिसका
पूरा नाम प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना है, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक सरकारी योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म खाद्य
प्रसंस्करण उद्यमों को वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करना है ताकि वे
अपनी इकाइयों को आधुनिक बना सकें और उत्पादन, प्रसंस्करण, और विपणन में सुधार कर
सकें। कहा गया कि यह योजना ’आत्मनिर्भर भारत अभियान’ का भी हिस्सा है तथा इस योजना
का मुख्य उद्देश्य नए उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। बताया गया कि सूक्ष्म
खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को 35 प्रतिशत की दर से क्रेडिट-लिंक्ड पूंजीगत सब्सिडी (अधिकतम
10 लाख रुपये प्रति इकाई) प्रदान की जाती है। योजना में उद्यमों की क्षमताओं को बढ़ाने और
श्रमिकों के कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। पीएमएफएमई योजना,
आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैए जिसका उद्देश्य देश में सूक्ष्म खाद्य
प्रसंस्करण क्षेत्र को मजबूत करना है। इस कार्यशाला में विभिन्न स्वयं सहायता समूहए सहकारी
संस्थाएं, और छोटे खाद्य उद्यमों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कहा गया कि सरकार की एक
जिला, एक उत्पाद नीति इस योजना की रीढ़ है। सरकार इन उत्पादों को राष्ट्रीय और वैश्विक
बाज़ारों तक पहुँचाने के लिए आक्रामक रणनीति पर काम कर रही है। कार्यशाला में बताया गया
कि सरकार न केवल उद्यमियों को वित्तीय मदद दे रही है, बल्कि उन्हें ब्रांडिंग, मार्केटिंग और
आधारभूत ढांचा जैसी सुविधाएं भी प्रदान कर रही है तथा उद्यमियों को भारत की अग्रिम पंक्ति
में खड़े होने का अवसर मिल रहा है तथा इस क्रांतिकारी योजना में भागीदारी अब सिर्फ एक
विकल्प नहीं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता और औद्योगिक सशक्तिकरण की अनिवार्यता बन चुकी
है।
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