आपदा से हुए नुकसान पर अंतर मंत्रालयीय केंद्रीय दल ने जिला अधिकारियों के साथ की बैठक
आपदा से हुए नुकसान पर अंतर मंत्रालयीय केंद्रीय दल ने जिला अधिकारियों के साथ की बैठक
· मंडी जिला में आरंभिक तौर पर 708 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान अनुमानित- उपायुक्त
· प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण एवं बहाली के कार्यों पर कर रहे ध्यान केंद्रित - डी.सी. राणा
मंडी जिला में बरसात के मौसम में बादल फटने, बाढ़ एवं भूस्खलन से हुए नुकसान का आकलन करने पहुंचे केंद्रीय दल ने गत देर सायं यहां डीआरडीए सभागार में जिला प्रशासन व विभागीय अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की। इसमें 30 जून की मध्यरात्रि को आई प्राकृतिक आपदा में हुए नुकसान तथा राहत एवं पुनर्वास कार्यों पर चर्चा की गई। इस आपदा में आरंभिक तौर पर अभी तक जिला में सात सौ करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान निजी व सार्वजनिक संपत्ति का आंका गया है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में उप सचिव (वित्त आयोग डिविजन) कंदर्प वी. पटेल ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान पर हिमाचल व विशेषकर मंडी जिला एवं प्रभावित लोगों के साथ पूरी संवेदनाएं हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय दल आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर वस्तुस्थिति का जायजा ले रहा है। दल के समक्ष आरंभिक तौर पर नुकसान से संबंधित ज्ञापन प्राप्त हुए हैं जिन पर पूरी तत्परता से और सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नुकसान के बारे में अंतिम ज्ञापन प्राप्त होने के उपरांत यह दल अपनी रिपोर्ट तैयार कर आपदा प्रबंधन पर गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगा। समिति की संस्तुति के उपरांत अंतिम रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों से आग्रह किया कि वे निर्धारित मानदंडों के अनुसार नुकसान से संबंधित अपने ज्ञापन प्रस्तुत करें।
प्रदेश सरकार में विशेष सचिव (राजस्व एवं आपदा प्रबंधन) डी.सी. राणा ने केंद्रीय टीम का स्थल निरीक्षण एवं आपदा से हुए नुकसान के आकलन में तत्परता से कार्य करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस भीषण आपदा में उपायुक्त के नेतृत्व में मंडी जिला की पूरी टीम ने राहत एवं पुनर्वास कार्यों में अब तक बेहतरीन कार्य किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार व आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अब पुनर्निर्माण एवं बहाली के कार्यों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने सभी विभागीय अधिकारियों से आग्रह किया कि वे क्षतिग्रस्त भवनों का पुनर्निर्माण सुरक्षित जगहों पर करें और लोगों को भी नालों व खड्डों इत्यादि से उचित दूरी पर निर्माण के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने ढलान स्थिरिकरण व बाढ़ प्रबंधन पर बहुत ज्यादा काम करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने जिला प्रशासन से आपदा से बेघर हुए लोगों के लिए अस्थायी निवास के दृष्टिगत प्री-फेब्रिकेटेड ढांचे तैयार करने की संभावनाएं तलाशने का भी आग्रह किया।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने केंद्रीय दल का स्वागत किया और जिला में आपदा से हुए नुकसान पर एक प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि जिला में इस बरसात के मौसम में आरंभिक तौर पर 708 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति का आंका गया है। बादल फटने एवं भारी बारिश व भूस्खलन से सबसे अधिक नुकसान थुनाग उपमंडल में लगभग 394 करोड़ रुपए का हुआ है। करसोग उपमंडल में 55 करोड़ रुपए से अधिक तथा धर्मपुर में 47 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान आंका गया है। उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग को सड़कों, पुलों व अन्य संपत्ति का लगभग 302 करोड़ रुपए का नुकसान अभी तक आंका गया है। जल शक्ति विभाग को आरंभिक तौर पर लगभग 190 करोड़ रुपए तथा राज्य विद्युत बोर्ड को लगभग 34 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। ग्रामीण विकास विभाग को लगभग 58 करोड़ रुपए, बागवानी विभाग को 31 करोड़ रुपए, कृषि विभाग को 8 करोड़ रुपए से अधिक, शिक्षा विभाग को 15 करोड़ रुपए से अधिक, नगर निगम मंडी को साढ़े छह करोड़ रुपए से अधिक तथा स्वास्थ्य विभाग को लगभग तीन करोड़ का नुकसान आरंभिक तौर पर आंका गया है।
उपायुक्त ने बताया कि जिला में निजी संपत्ति को भी इस आपदा में भारी नुकसान पहुंचा है। पंडोह के समीप पटीकरी पावर हाऊस को लगभग 85 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा है और यह पावर हाऊस भारी बाढ़ में बह गया है। इस आपदा में अभी तक 349 मकानों के पूर्ण रूप से तथा 546 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने का आकलन किया गया है। जिला में 241 दुकानें, 755 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं जबकि 1155 पशुधन की हानि हुई है। उन्होंने बताया कि प्रभावितों को तत्काल राहत के रूप में 57 लाख रुपए से अधिक की राशि वितरित की गई है। आपदा प्रभावित लगभग 700 लोगों को 17 राहत शिविरों में रखा गया। वर्तमान में 15 राहत शिविरों में 393 प्रभावित रखे गए हैं। 3857 राशन किट, 1238 कंबल, 6752 तिरपाल सहित अन्य राहत सामग्री प्रभावितों को वितरित की गई है।
राहत एवं पुनर्वास कार्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना, आईटीबीपी, गृह रक्षक के जवानों की मदद ली गई है। विद्युत बोर्ड, लोक निर्माण तथा जल शक्ति विभाग के लगभग अढ़ाई हजार कर्मचारी बहाली के कार्यों में जुटे हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग की 25 टीमों के माध्यम से प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं सुनिश्चित की गई हैं। उपायुक्त ने राहत व पुनर्वास कार्यों में पूरी तत्परता से सहयोग के लिए सभी अधिकारियों की सराहना भी की।
इस केंद्रीय दल में गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (सीएस एवं पब्लिक, न्यायिक) जी. पार्थसारथी, वित्त मंत्रालय के अधीन व्यय विभाग के उप सचिव (एफसीडी) कंदर्प वी. पटेल, जल शक्ति मंत्रालय के तहत सीडब्लूसी शिमला के निदेशक वसीम अशरफ, ऊर्जा मंत्रालय के तहत सीईए के उप निदेशक करन सरीन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय शिमला के मुख्य अभियंता ए.के. कुशवाहा, ग्रामीण विकास मंत्रालय से अवर सचिव दीप शेखर सिंघल तथा कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के तहत गेहूं विकास निदेशालय में संयुक्त निदेशक डॉ. विक्रांत सिंह शामिल हैं।
बैठक में केंद्रीय दल के सदस्यों के अलावा अतिरिक्त उपायुक्त गुरसिमर सिंह, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ. मदन कुमार, नगर निगम के आयुक्त रोहित राठौर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सचिन हीरेमठ सहित सभी संबंधित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित
थे।
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