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हलान और सरसेई के ग्रामीणों द्वारा लुप्त हो रही लाल चावल ( जाटू )धान की खेती को

 हलान और सरसेई के ग्रामीणों द्वारा लुप्त हो रही लाल चावल ( जाटू )धान की खेती को 

बचाने की जद्दोजहत 


मनाली : ओम बौद्ध /

उझी घाटी के देवता बासुकीनाग के खेत में गांवसीयों ने जिला कुल्लू में लुप्त हो रही लोकल

लाल चावल ( जोटूटू ) धान की खेती को आज भी नग्गर हलाण के खेतों में हारयानों द्वारा बचाया जा रहा है । वर्षों पुरानी परंपरा का वहाँ गाँव वासी बखूबी इस विरासत को बचाने का काम कर रहे हैं । लोकल धान रोपाई को कुल्लू में रुहनी नाम से भी जाना जाता है । इस की जगह अब सेव, नाशपाती और अन्य नकदी फसलों ने इस परंपरा को लुप्त कर दिया है। इसमें बिशेष कर नग्गर हलाण सेरी मे देवता के खेत में धान की पारंपरिक खेती लोग अभी भी इसे पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। 

देवता के कारदार अंकित नेगी ने बताया की हलान गाँव के आराध्य देवता बासुकी नाग के खेत में हलान और सरसेई के सभी गाँव वासी लुप्त होती धान की खेती को बचाने के लिए सम्मिलित हुए। उन्होंने लुप्त हो रही इस परंपरा को जीवित रखने के लिए सभी गाँव वासियों का धन्यवाद किया । उन्होंने बताया की जब रूहनी हो रही थी सब ख़ुशी से लोकल गाने गाते हुए इस कार्य को सम्पन्न कर रहे थे। अंत में औरतों ने रूहनी के साथ नृत्य भी किया और खुशी से एक दूसरे पर खेतों का कीचढ़ भी फेंका l स्थानीय लोगों ने बताया कि रोपाई के दौरान खेत में सात आठ फीट लंबा सांप भी दिखा जिसे लोग नाग देवता के नाम से पूजते हैं इन के दर्शन से इस कार्य को चार चांद लग जाते हैं। मानना है कि नाग दर्शन से अच्छी खेती और फसल की आस जाग जाती है l कारदार ने बताया कि 

 धान जब भी तैयार होगा तो सबसे पहले इसे देव कार्य में इस्तेमाल किया जायेगा । उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर सभी इस परंपरा को निभाये तो लाल चावल जिसे जाटू के चावल भी कहते हैं इसे संजोने और बचाया जा सकता है ।

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