लाहौल की महिलाओं ने गोरमा तैयार किया प्राकृतिक मशरूम
लाहौल की महिलाओं ने गोरमा तैयार किया प्राकृतिक मशरूम
केलांग : ओम बौद्ध /
लाहौल स्पीति के एक छोटे से गांव गोरमा के ज़रीम सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं ने आपसी सहयोग से लाहौल में मशरूम की पैदावार शुरू कर दी है l जहां लाहौल जैसे कबाइली क्षेत्र के लिए मशरूम को दूसरे जिले से मंगवाना पड़ता था वहीं अब मशरूम गोरमा गांव में ही उपलब्ध होगा l जरीम हेल्प ग्रुप की प्रधान मान दासी ने बताया कि मैंने बजौरा और सोलन से इस का प्रशिक्षण लिया है उस के बाद मान दासी ने गांव गोरमा में आ कर ग्रुप की स्थापना की और अन्य महिलाओं के साथ मिल कर मशरूम तैयार किया अभी इस ग्रुप में दस महिलाओं को रोजगार उपलब्ध किया गया है मान दासी ने बताया कि हमारा लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना है अभी यह ग्रुप एक छोटे से निजी मकान में मशरूम तैयार कर रहा है l मान दासी ने बताया कि इस कार्य से गांव की अन्य महिलाओं को भी घर बैठे रोजगार मिल रहा है l और मशरूम तैयार होते ही घाटी के लोग इसे वहीं गांव में आ कर खरीद रहे हैं और इसे पसंद किया जा रहा है l यह मशरूम महिलाओं द्वारा गेहूं के भूसे को खाद में तब्दील कर एक माह में तैयार किया जा रहा है l मान दासी ने बताया कि एक किलो बीज से लगभग चार से पांच किलो मशरूम तैयार किया जा रहा है l सीएसआईआर निदेशक मशरूम रिसर्च सोलन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि मशरूम की लगभग साठ से सत्तर प्रजाति दुनिया में उपलब्ध है भारत में अधिकतर 16 से 18 प्रकार का मशरूम पैदा किया जाता है इन में से बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम और मिल्की मशरूम अधिकतर बाजार में बिकता है l डॉक्टर अनिल ने बताया कि विभिन्न प्रकार के मशरूम के लिए विभिन्न तापमान की आवश्यकता होती है l अधिकतर 16 से 18 डिग्री तापमान प्रयोग किया जाता है l
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