पतलीकूहल अस्पताल में सुविधाएं शून्य जबकि बीपीएल परिवारों से प्राइवेट रूम के लिए जाएंगे 500 रु : गोविंद ठाकुर। - Smachar

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पतलीकूहल अस्पताल में सुविधाएं शून्य जबकि बीपीएल परिवारों से प्राइवेट रूम के लिए जाएंगे 500 रु : गोविंद ठाकुर।

 पतलीकूहल अस्पताल में सुविधाएं शून्य जबकि बीपीएल परिवारों से प्राइवेट रूम के लिए जाएंगे 500 रु : गोविंद ठाकुर।


मनाली : ओम बौद्ध /

कुल्लू मनाली का केंद्र बिंदु खा जाने वाला पतलीकूहल का सरकारी अस्पताल खुद बेहाल है। व्यवस्था की लाचारी का शिकार यह अस्पताल मात्र दो चिकित्सकों के सहारे चल रहा है। और अब स्थानीय विधायक की अध्यक्षता में हुई रोगी कल्याण समिति की बैठक में स्थानीय जनता पर और बोझ डाल दिया गया है । स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाए हुए ये शब्द पूर्व मंत्री एवं भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष गोविंद सिंह ठाकुर ने कहे । उन्होंने कहा कि अस्पताल में स्थाई सफाई कर्मचारी से लेकर मरीजों को अस्पताल में मिलने वाले निःशुल्क खाने की कोई व्यवस्था नहीं है । उन्होंने कहा कि पतलीकूहल में अस्पताल के लिए जमीन से लेकर बिल्डिंग तक की व्यवस्था भाजपा सरकार के कार्यकाल में की गई है लेकिन सरकार अब इस अस्पताल की व्यवस्था भी नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में सफाई कर्मचारी , फार्मासिस्ट और दो चिकित्सकों से अलावा अन्य चिकित्सकों की सेवाएं भी डेप्युटेशन पर ली जाती हैं । सरकार के विधायक के गृह क्षेत्र में यह अस्पताल है लेकिन जब से ये अस्पताल शुरू हुआ है तब से अब तक इसकी दशा बद से बदतर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में एक डेंटिस्ट की पोस्ट होने के बाबजूद डेंटल ट्रीटमेंट से संबंधित समान न होने के चलते चिकित्सक को पिछले काफी समय से कुल्लू में सेवाएं देनी पड़ रही हैं। गोविंद ठाकुर ने कहा कि न तो अस्पताल का प्रसूति कक्ष सुचारू है और न ही अस्पताल में कोई एक्सरे मशीन उपलब्ध है । उन्होंने कहा कि पतलीकूहल अस्पताल की रोगी कल्याण समिति द्वारा गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों के हितों पर चोट की है । बीपीएल परिवारों से रोगियों से 500 रुपए जबकि अन्य लोगों से 1000 रुपए प्राइवेट रूम के लेने का निर्णय पूरी तरह गलत है । ठाकुर ने कहा कि यह निर्णय न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सीमित करता है, बल्कि सरकार की उस कथित स्वास्थ्य नीति की भी पोल खोलता है जिसमें सबके लिए समान और सुलभ चिकित्सा सुविधा की बात की जाती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक जनकल्याणकारी समिति, जिसका उद्देश्य मरीजों की भलाई सुनिश्चित करना होना चाहिए, वही समिति अब ऐसे निर्णय ले रही है जो जरूरतमंद मरीजों को आवश्यक सुविधाओं से वंचित कर देंगे।

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