ज्वाली के भरमाड़ में बाबा शिब्बो थान मेले का आगाज़: दो महीने तक उमड़ेगा श्रद्धालुओं का जनसैलाब
ज्वाली के भरमाड़ में बाबा शिब्बो थान मेले का आगाज़: दो महीने तक उमड़ेगा श्रद्धालुओं का जनसैलाब
ज्वाली : राजेश कतनौरिया /
उपमंड़ल ज्वाली के अर्तगत पंचायत भरमाड में स्थित मन्दिर सिद्ध वावा शिब्बो थान में 20 जुलाई रविवार से दो माह तक चलने वाले मेले शुरू हो जायेंगे । महंत राम प्रकाश वत्स , सतीष कुमार वत्स , राम कृष्ण वत्स , राजीव कुमार वत्स , व जोगिंदर कुमार वत्स नै बताया कि दो माह तक चलने वाले मेलों की पूरी कर ली गई है ! इन मेलों मैं पंजाब , हरियाणा , जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालु आते हैं ! उन्होंने बताया कि यहां आने जाने श्रद्धालुओं को रात्रि ठहराव की भी व्यवस्था की गई है ! वता दें कि मंदिर मैं बिच्छू व सांप के काटने वालों का ईलाज किया जाता है ! शिब्बो थान गौगावीर का एक मात्र ऐसा मन्दिर है जो उनके भक्त शिब्बो के नाम पर है यहां जहरवीर की पूजा बाबा शिब्बो के नाम से होती है हिमाचल प्रदेष देवभूमि है । हिमाचल प्रदेश में कुछेक ऐसे सुप्रसिद्ध नाग मन्दिर है जहां जंगली व विषैले सर्पो के विष का निवारण होता है । इसमें सिद्ध बाबा शिब्बो थान का अपना अलग महत्व है । विशेष रूप से सिद्ध वावा षिव्वों थान का मन्दिर पठानकोट से 40 कि.मीटर व ज्वालीमुखी से 60 किलो मीटर , कांगडा से 65 किलोमीटर व गगल एयरर्पोट से 45 किलोमीटर व पौंग बांध से 38 किलोमीटर दूर भरमाड - रैहन सर्म्पक मार्ग के किनारे एवं कांगडा घाटी रेलवे मार्ग के स्टेषन भरमाड से 150 मीटर की दूरी पर जिला कांगडा की ज्वाली तहसील के गांव भरमाड में स्थित है। शिब्बोथान के नाम से होती है । मगंल कार्य के उपरान्त लोग कुल देवी के मन्दिर में जाकर अपनी मनत चढाते है ।
मेरे दरवार पर आने वाले हर प्राणी की समस्त मनोकामना पूर्ण हो :- यह स्थान तेरेे नाम सिद्ध बाबा शिब्बो थान के नाम से विख्यात होगा व मेरी पूजा तेरे नाम से होगी एवं तेरे दरवार में आने वाले हर प्राणी की हर मनोकामना पूर्ण होगी ।
मै अपने वरदानों की प्रमाणिकता के लिए तेरे दरवार दो विल और वेरी के वृक्ष है इन्हे में कांटों से मुक्त करता हूं । इन दोना बृक्षो के दर्षन मात्र से संकटो से मुक्ति मिलेगी। अंत में जाहरवीर गोगा जी(जहरवीर गोगा को हिन्दू वीर व मुसलमान पीर कहते है) ने बाबा शिब्बो को अपना दिव्य विराट रूप दिखाया और इसी दिव्य रूप में शिब्बो स्थान पर स्थिर हो गए । तदोपरान्त वावा षिव्वो जहरवीर की षक्ति में समा गए ।ं आज बाबा जी के वंषज बाबाजी की परम्परा के अनुसार इस स्थान की महिमा को यथावत रखे हूए है । मन्दिर कमेटी की ओर से भेाजन, ठहरने व पानी की पूर्ण सुविधा उपलव्ध करवाई है । श्रावण व भादमास के हर रविवार को बाबा जी का मेला लगता है । षनिवार, रविवार व सोंमवार को बाबा जी का संकीर्तन होता है । गोगा नौमी के नौवें दिन बाबा जी के नाम का भंडारा होता है। गोगनोमी के पावन दिनों में बाबाजी के आठ सद्धियों पुराने संगलों को मन्दिर के गर्भागृह में पूजा के लिए रखा जाता है ।
मन्दिर के नाग, उसके समन्दिर के सनमुख बाबा का धूना व धूने के साथ बरदानी बेरी का वृक्ष बूरी के सामने बाबा जी के भंगारे के दर्षन
भंगारे की प्रयोग विधि:-प्रातःकाल एवं सासंकाल षुद्ध पानी का लोटा ले उसमें चुटकी भर भंगारा डाल दे जिस मनोरथ के साथ प्रयोग करना तय है उसका सुमरण करो फिर तीन चूली चरणामृत व घर में जन का छिड़काव कर दो । जिस स्थान पर जहर का जख्म हो उसपर लेप कर दें ।
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