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स्वयं अर्जित संपत्ति पर माता-पिता का पूरा अधिकार, जानें नए नियम

स्वयं अर्जित संपत्ति पर माता-पिता का पूरा अधिकार, जानें नए नियम 


संपत्ति अधिकारों ने परिवार में रिश्तों को मजबूत करने या कई बार उनमें दरार पैदा करने का काम किया है। समय के साथ-साथ संपत्ति कानूनों में बदलाव आते रहे हैं, और 2024 में सरकार ने संपत्ति से जुड़े अधिकारों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण और बड़े बदलाव किए हैं। खासतौर पर बेटियों के अधिकार और माता-पिता की संपत्ति पर बच्चों के दावे को लेकर नए नियम लागू किए गए हैं।

नए संपत्ति कानूनों का मुख्य उद्देश्य माता-पिता के अधिकारों की रक्षा करना और बेटा-बेटी के बीच समानता लाना है। यह कानून बच्चों को संपत्ति पर अनाधिकार दावे से रोकने के साथ-साथ बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार प्रदान करने पर केंद्रित है। अब तक समाज में यह मान्यता थी कि बेटियों को शादी के बाद पैतृक संपत्ति पर हक नहीं मिलता, लेकिन नए नियम इन पुरानी मान्यताओं को तोड़ते हैं और बेटियों को बराबरी का अधिकार देते हैं।

माता-पिता अपनी कमाई से अर्जित संपत्ति को अपनी मर्जी से किसी को भी दे सकते हैं, चाहे वह उनका बच्चा हो या नहीं। बच्चों का इस संपत्ति पर कोई स्वाभाविक दावा नहीं होगा।

माता-पिता अपनी संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति, संस्था, या संगठन को दान कर सकते हैं। यदि माता-पिता बिना वसीयत किए मृत्यु को प्राप्त होते हैं, तभी उनके बच्चों को संपत्ति का अधिकार मिलेगा।

यह नियम माता-पिता को यह स्वतंत्रता देता है कि वे अपनी संपत्ति का उपयोग अपने तरीके से करें और किसी भी दबाव या सामाजिक अपेक्षाओं से मुक्त होकर अपनी संपत्ति का फैसला कर सकें।

बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया है। अब बेटियां, चाहे वे अविवाहित हों या विवाह के बाद, अपने पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर की हिस्सेदार मानी जाएंगी। उसे संपत्ति में से वंचित नहीं किया जा सकता, भले ही वह शादीशुदा हो।

पहले, बेटियों का विवाह हो जाने के बाद उनका पैतृक संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता था, लेकिन नए नियमों के तहत ऐसा नहीं होगा। बेटी अपने पिता की संपत्ति में से हिस्सा मांग सकती है, भले ही उसका भाई इसका विरोध करे।

यदि पिता ने अपने जीवनकाल में संपत्ति का बंटवारा कर दिया है, तो बेटी उस फैसले को चुनौती दे सकती है।

बेटी को विवाह के बाद भी उसके पैतृक संपत्ति का हिस्सा बेचने या किराए पर देने का अधिकार रहेगा।

नए कानून में वसीयत का महत्व भी बढ़ा दिया गया है। अगर माता-पिता ने अपनी संपत्ति की वसीयत तैयार की है, तो वसीयत को सर्वोपरि माना जाएगा। यदि माता-पिता ने अपनी संपत्ति के लिए वसीयत बनाई है, तो वसीयत के खिलाफ बच्चों का कोई कानूनी दावा नहीं होगा। वसीयत में जो भी निर्णय माता-पिता ने किए होंगे, उसे मानना अनिवार्य होगा। वसीयत के बिना ही उत्तराधिकार का कानून लागू होगा।


इसके अलावा, नए नियमों के तहत उन बच्चों के संपत्ति अधिकार सीमित किए जा सकते हैं जो अपने माता-पिता की उचित देखभाल नहीं करते। माता-पिता अपनी वसीयत में ऐसे बच्चों को संपत्ति से वंचित कर सकते हैं, और कोर्ट भी ऐसे मामलों में बच्चों के संपत्ति अधिकारों को सीमित कर सकता है।

कुछ खास परिस्थितियों में बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में हक नहीं मिलेगा। उदाहरण के तौर पर, अगर माता-पिता ने अपनी संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को दान कर दी है, तो बच्चों का उस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा। इसके अलावा, अगर माता-पिता ने अपनी संपत्ति के लिए वसीयत तैयार कर ली है, जिसमें बच्चों को संपत्ति से बाहर रखा गया है, तो बच्चे उस वसीयत को चुनौती नहीं दे पाएंगे। कुछ धार्मिक कानूनों के अनुसार, धर्म परिवर्तन करने वाले बच्चों को भी पैतृक संपत्ति में हक नहीं मिलेगा। इसके साथ ही, अगर कोई बच्चा अपने माता-पिता की हत्या में शामिल पाया जाता है, तो उसे भी संपत्ति से वंचित किया जा सकता है।


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