जगुआर ट्रेनर फाइटर जेट क्रैश, हादसे में दो पायलट हुए शहीद - Smachar

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जगुआर ट्रेनर फाइटर जेट क्रैश, हादसे में दो पायलट हुए शहीद

जगुआर ट्रेनर फाइटर जेट क्रैश, हादसे में दो पायलट हुए शहीद

भारतीय वायुसेना की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, यह एक टू-सीटर जगुआर ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट था, जो नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था। दोपहर 12:40 बजे के करीब चुरू जिले के पास इसका नियंत्रण अचानक बिगड़ गया और यह जमीन पर आ गिरा। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान के गिरते ही उसमें जोरदार विस्फोट हुआ और मलबा दूर-दूर तक बिखर गया। चुरू के पुलिस अधीक्षक जय यादव ने बताया कि घटनास्थल से शवों के क्षत-विक्षत अवशेष बरामद किए गए हैं। हादसे के तुरंत बाद वायुसेना की एक टीम और सेना का हेलिकॉप्टर मौके पर पहुंचा। हादसे के कारणों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित कर दी गई है।

यह हादसा राजस्थान के चुरू जिले में बुधवार दोपहर को हुआ भारतीय वायुसेना का एक जगुआर ट्रेनर फाइटर जेट क्रैश हो गया। इस हादसे में वायुसेना के दोनों पायलट शहीद हो गए। इनमें एक पायलट रोहतक निवासी स्क्वॉड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधु (44) थे।मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने आसमान में पहले विमान की तेज आवाज सुनी। कुछ ही सेकेंड में जोरदार धमाका हुआ और विमान खेतों में गिर पड़ा। विमान में आग लग गई और कुछ ही मिनटों में मलबा जलकर राख हो गया। आसपास के पेड़-पौधे भी चपेट में आ गए और खेत में गहरा गड्ढा बन गया

लोकेंद्र सिंधु के पिता जोगेंद्र सिंधु महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से वर्ष 2023 में अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि बहू डॉ. सुरभि ने एमडीयू से ही पीएचडी की है। गत 10 जून को ही लोकेंद्र की पत्नी डॉ. सुरभि ने बेटे को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि बेटे ने भी एमडीयू कैंपस स्कूल से ही शिक्षा ग्रहण की थी। 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद लोकेंद्र सिंह एयरफोर्स में भर्ती हो गए। इन्होंने पुणे खड़कवासला में प्रशिक्षण लिया। ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग कर्नाटक के बीदर में, बीदर से पश्चिमी बंगाल के क्लाईकोडा में तैनात रहे। क्लाईकोडा से ही वे सूरतगढ़ पोस्टिंग हुए। जैसे ही घटना की जानकारी देव कॉलोनी के लोगों को लगी तो वे उनके परिवार को ढांढस देने के लिए घर पहुंचे।लोकेंद्र सिंह साल 2011 में भारतीय वायु सेना में बतौर पायलट भर्ती हुए थे। पिता जोगेंद्र सिंह ने बताया कि बेटे की जिंदगी का केवल एक ही मकसद था कि वह उड़ने के लिए पैदा हुआ है। इसलिए उसने वायुसेना ज्वाइन की थी। उनका मानना था कि अगर जिंदगी में हररोज रोमांच चाहिए तो केवल भारतीय वायु सेना में ही मिल सकता है। क्योंकि प्रतिदिन आकाश की ऊंचाइयां वायु सेना ही छूती है।

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