नन्हें बच्चों ने बैहली गांव में धूमधाम से मनाई जन्माष्टमी, मटकी फोड़कर दिया सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का संदेश
नन्हें बच्चों ने बैहली गांव में धूमधाम से मनाई जन्माष्टमी, मटकी फोड़कर दिया सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का संदेश
निहरी
तहसील निहरी के अंतर्गत ग्राम पंचायत सोझा के बैहली गांव में इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बेहद अनोखे और यादगार अंदाज में मनाया गया। जहां बड़े-बुजुर्गों के आयोजन सामान्य रूप से देखने को मिलते हैं, वहीं इस बार गांव के नन्हें-मुन्ने बच्चों ने पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई और परंपरा के साथ संस्कृति को भी जीवंत कर दिखाया।
बच्चों ने खुद संभाला पूरा आयोजन
गांव के बच्चों ने इस पावन पर्व को मनाने के लिए कई दिनों पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। लगभग सभी 14 वर्ष से छोटे बच्चे हैं, लेकिन उनके उत्साह और मेहनत ने बड़े-बुजुर्गों को भी हैरान कर दिया। बच्चों ने मटकी सजाने, रंगोली बनाने, दही-हांडी तैयार करने से लेकर मंचन तक सब कुछ स्वयं किया।
"खलदार" बनी आकर्षण का केंद्र
गांव के साथ लगती हरी-भरी और खूबसूरत जगह "खलदार" को सजाकर बच्चों ने इसे उत्सव स्थल बना दिया। यहां आयोजित मटकी फोड़ प्रतियोगिता में बच्चों ने एक-दूसरे से होड़ लगाते हुए अपने साहस और उत्साह का परिचय दिया। जब नन्हें-नन्हें बच्चों ने एकजुट होकर मटकी फोड़ी तो पूरा माहौल जय श्री कृष्ण के जयकारों से गूंज उठा।
सोशल मीडिया पर दी शुभकामनाएं
आधुनिक समय के साथ कदम मिलाते हुए बच्चों ने इस उत्सव की झलकियां सोशल मीडिया पर भी साझा कीं और प्रदेश सहित देशवासियों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
संस्कृति को बचाने का दिया संदेश
गांववासियों का कहना है कि जब नई पीढ़ी अपने त्योहारों को मनाने में आगे आएगी, तभी हमारी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर जीवित रह पाएगी। आजकल जहां युवाओं का झुकाव मोबाइल और आधुनिक जीवनशैली की ओर बढ़ रहा है, वहीं बैहली गांव के बच्चों ने यह उदाहरण पेश किया है कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव बनाए रखना कितना आवश्यक है।
गांववासियों की भावनाएं
गांव के बुजुर्गों ने बच्चों की इस पहल की खूब सराहना की। उन्होंने कहा कि इन मासूमों ने यह साबित कर दिया कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, भारत में त्योहारों का महत्व और उत्साह कभी कम नहीं होगा। बच्चों की लगन, मेहनत और आपसी भाईचारे ने इस जन्माष्टमी को गांव के लिए ऐतिहासिक बना दिया।
निष्कर्ष
बैहली गांव की यह छोटी सी पहल पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणादायक है। इस आयोजन ने जहां धार्मिक भावनाओं को प्रबल किया, वहीं सांस्कृतिक धरोहर को भी नई ऊर्जा प्रदान की। बच्चों ने यह दिखा दिया कि अगर नन्हें मन ठान लें तो वे बड़े-बड़ों के लिए मिसाल कायम कर सकते हैं।
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