आस्था और परंपरा की शरण में उझी घाटी : नाग धुम्बल करेंगे बड़ागढ़ की परिक्रमा - Smachar

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आस्था और परंपरा की शरण में उझी घाटी : नाग धुम्बल करेंगे बड़ागढ़ की परिक्रमा

 आस्था और परंपरा की शरण में उझी घाटी : नाग धुम्बल करेंगे बड़ागढ़ की परिक्रमा


पतलीकूहल : ओम बौद्ध /

हाल ही में आई विनाशकारी आपदा के बाद मनाली की उझी घाटी के लोग प्रकृति और आध्यात्म की शरण में लौट रहे हैं। हिमाचल में प्राचीन काल से देव परंपरा का विशेष महत्व माना जाता है और विपत्ति या प्राकृतिक आपदाओं के समय लोग अपने आराध्य देवताओं की शरण में जाकर राहत और सुरक्षा की कामना करते हैं। इसी कड़ी में हलान-2 के आराध्य देवता नाग धुम्बल के आदेशानुसार उनके कारकूनों और देवलों ने विशेष बड़ागढ़ परिक्रमा का आयोजन करने का निर्णय लिया है।


देव परंपरा और मान्यता


स्थानीय मान्यता के अनुसार नाग धुम्बल देवता वर्षा और अकाल जैसी विपदाओं से लोगों की रक्षा करते हैं। कहा जाता है कि 18 करोड़ देवी-देवताओं ने उन्हें यह कार्यभार सौंपा है। वर्तमान में कुल्लू जिला हाल ही में भारी आपदा से प्रभावित हुआ है, ऐसे में देवता ने अपने देउली (पूजा-अर्चना) के दौरान पूछ के समय संकेत दिए कि वे इस बार भी विशेष परिक्रमा करेंगे और अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करेंगे।


परिक्रमा का कार्यक्रम


देवता नाग धुम्बल 29 अगस्त की सुबह अपने हारियानों और बजंतरियों के साथ हलान-2 से यात्रा प्रारंभ करेंगे। यात्रा का क्रम इस प्रकार रहेगा—


हलान-2 से बड़ाग्रां,


बड़ाग्रां से डेफ़री,


वहाँ से रियाड़ा,


फिर शांगचर से पनगां,


इसके बाद ब्राण,


ब्राण से दुआड़ा पुल,


और अंत में बाड़ी होते हुए अपने मंदिर में वापसी।



इसके बाद देवता पुनः अपने मंढार में विराजमान होंगे।


पहले भी निभाई है रक्षा की परंपरा


देवता के कारदार जवाहर लाल ठाकुर ने बताया कि नाग धुम्बल देवता पूर्व में भी आपदाओं के समय परिक्रमा कर चुके हैं। वर्ष 2018 की बाढ़ और 2022 की विपदा के समय देवता बड़ागढ़ की परिक्रमा पर निकले थे और उस समय भी लोगों ने राहत और सुरक्षा महसूस की थी। इस बार भी परिक्रमा का आयोजन उसी परंपरा के अनुसार किया जा रहा है।


देव परंपरा में गहरी आस्था


क्षेत्र के लोग मानते हैं कि देवता न केवल प्रकृति की शक्तियों को संतुलित करते हैं बल्कि समाज को भी एकजुट रखते हैं। परिक्रमा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवता के साथ चलते हैं, जगह-जगह उनका स्वागत करते हैं और अपने क्षेत्र के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। लोगों का विश्वास है कि इस विशेष परिक्रमा से आपदा का संकट टलेगा और घाटी में फिर से सुख-शांति और समृद्धि लौटेगी।

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