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ज्वाली में श्रद्धा और उल्लास के साथ आरंभ हुआ गणेशोत्सव, आज चांद देखना वर्जित

ज्वाली में श्रद्धा और उल्लास के साथ आरंभ हुआ गणेशोत्सव, आज चांद देखना वर्जित

गणेश चतुर्थी 2025 : गणपति बप्पा के जयकारों से गूंजा देश, जानें क्यों है आज चांद देखना वर्जित 


ज्वाली : देशभर में आज से विघ्नहर्ता भगवान गणेश का 10 दिवसीय महापर्व गणेशोत्सव बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ आरंभ हो गया है। सुबह से ही मंदिरों, घरों और पंडालों में भक्तों द्वारा गणपति बप्पा की स्थापना कर पूजा-अर्चना की जा रही है। "गणपति बप्पा मोरया" के गगनभेदी जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा है। इसी बीच ज्वाली उपमंडल के अन्तर्गत नगर पंचायत ज्वाली के वार्ड नंबर 7 में गणेशोत्सव पर गणेश कमेटी सीता रपोत्रा, रमा रपोत्रा, विजय रपोत्रा, रानी रपोत्रा, अनु रपोत्रा, रेणू रपोत्रा, मधु मतलोटिया,शालू रापोत्रा, मंजू मतलोटिया, अनीश रपोत्रा (हनी), गौरव रपोत्रा (गोरु), जश्नप्रीत सिंह मतलोटिया, के सहयोग से गणपति बप्पा की स्थापना की, इससे पूर्व सभी भक्तजनों ने मेहरा विरादरी के श्री राधा कृष्ण मंदिर से गणपति बप्पा की मूर्ती को जयकारों के साथ घर के प्रांगण में लेकर आए तदोपरांत पंडित दीपक शास्त्री के द्वारा मन्त्रोच्चारण के साथ विघ्नहर्ता मंगलकर्ता गणपति बप्पा की स्थापना की इस मौके पर कमेटी की सदस्य सीता देवी का कहना है कि आज हमने गणपति बप्पा जी की स्थापना की है रोज यहां पर भजन कीर्तन किया जाएगा और शुभ मुहूर्त में गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाएगा । 

इस मौके पर पंडित दीपक शास्त्री का कहना है कि आज इस हर्षोल्लास के बीच एक प्राचीन परंपरा भी है, जिसका पालन विशेष रूप से आज की रात किया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन यानी गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन वर्जित होते हैं। कहा जाता है कि इस दिन चांद देखने से व्यक्ति पर मिथ्या दोष या कलंक लग जाता है—अर्थात ऐसा झूठा आरोप, जो उसने किया ही न हो। यही कारण है कि इस तिथि को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है।

पौराणिक कथा : क्यों लगा चंद्रदेव को गणेश जी का श्राप?

पुराणों में वर्णन है कि एक बार गणेश जी ने भरपेट लड्डू और मोदक का भोग लगाकर अपने वाहन मूषक पर सवारी की। रास्ते में मूषक को सांप दिखाई दिया और भयभीत होकर वह उछल पड़ा। इससे गणेश जी नीचे गिर गए और उनका पेट फटकर लड्डू बिखर गए।

गणेश जी ने तत्काल लड्डू उठाकर पेट में वापस रखे और उसी सांप को कमर पर बांध लिया। यह दृश्य आकाश से देख रहे चंद्रदेव अहंकार में आकर जोर-जोर से हँसने लगे और गणेश जी का उपहास करने लगे।

बाल गणेश अपने अपमान से क्रोधित हो उठे और चंद्रदेव को श्राप दिया—“तुम्हारा तेज क्षीण हो जाएगा, रूप काला पड़ जाएगा और आज की तिथि पर तुम्हें देखने वाला हर व्यक्ति झूठे कलंक का भागी बनेगा।”

श्राप से भयभीत चंद्रदेव ने देवताओं संग गणेश जी से क्षमा मांगी। तब गणेश जी ने कहा कि श्राप तो अटल रहेगा, लेकिन उसका प्रभाव सीमित कर देंगे। फलस्वरूप, चंद्रमा का घटना-बढ़ना (कृष्ण और शुक्ल पक्ष) तय हुआ और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्र दर्शन निषेध घोषित कर दिया गया।

आज चंद्र दर्शन का वर्जित समय

पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि कल (26 अगस्त) से आरंभ हो चुकी थी, किंतु उदय तिथि मान्य होने के कारण पर्व आज मनाया जा रहा है।

यदि भूलवश दिख जाए चांद तो क्या करें?

धार्मिक ग्रंथों में मिथ्या दोष निवारण के उपाय बताए गए हैं:

1. स्यमंतक मणि की कथा का श्रवण या पाठ करें – यह कथा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है। मान्यता है कि कृष्ण ने भी इस दिन चांद देख लिया था और उन पर चोरी का झूठा आरोप लगा। कथा सुनने या पढ़ने से दोष समाप्त हो जाता है।

2. विशेष मंत्र का जाप करें – कम से कम 108 बार यह मंत्र जपें:

“सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।

सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥”

(अर्थ: सिंह ने प्रसेन का वध किया, उस सिंह को जाम्बवान ने मारा। हे सुकुमार, मत रोओ, यह स्यमंतक मणि तुम्हारी ही है।)

3. फल या दही का दान करें – मीठे फल या दही-शहद का दान करने से भी दोष का प्रभाव कम होता है।

श्रद्धा और परंपरा का संगम

गणेश चतुर्थी न केवल आस्था का पर्व है बल्कि यह परंपराओं और सामाजिक सद्भाव का भी प्रतीक है। भक्तों से अपील है कि वे इस दिव्य अवसर पर गणपति की भक्ति में लीन रहकर चंद्र दर्शन से बचें और प्राचीन मान्यता का सम्मान करें। गणपति बप्पा मोरया! मंगलमूर्ति मोरया!

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