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आइए जानें भारत रत्न देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान किसे प्राप्त होगा

आइए जानें भारत रत्न देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान किसे प्राप्त होगा 


भारत रत्न प्राप्त करने वाले को मिलती यह सुविधाएं 

1 इस पुरस्कार से जुड़ी पहली बात तो यही है कि भारत रत्न प्राप्त करने वाले व्यक्ति को कैबिनेट मंत्री के बराबर वीआईपी का दर्जा मिलता है.

2 भारत रत्न पाने वालों को आयकर न भरने की छूट भी दी जाती है. साथ ही वह संसद की बैठकों और सत्र में भाग ले सकते हैं.

3 स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में विशेष अतिथि के तौर पर भी भाग ले सकते हैं.

इन्हें हवाई जहाज, ट्रेन और बस में निशुल्क यात्रा की छूट मिलती है.

4 अगर किसी राज्य में घूमने जाते हैं तो उन्हें राज्य अतिथि का दर्जा मिलता है.

5 संविधान के अनुच्छेद 18 (1) के अनुसार पुरस्कार प्राप्त करने वाले अपने नाम के उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में 'भारत रत्न' का प्रयोग नहीं कर सकते हैं. हालांकि वे अपने बॉयोडाटा, विजिटिंग कार्ड, लेटर हेड आदि में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भारत रत्न या भारत रत्न पुरस्कार प्राप्तकर्ता जोड़ सकते हैं.

6 जिन्हें भारत रत्न मिलता है उन्हें सरकार वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस में जगह देती है. वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है.

7 राज्य सरकारें भारत रत्न पाने वाली हस्तियों को अपने राज्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं.

भारत रत्न देने के लिए नाम की सिफारिश प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति से की जाती है. जिसके बाद राष्ट्रपति द्वारा उस व्यक्ति को यह सम्मान प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार के तहत प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाण पत्र और एक पदक मिलता है. पुरस्कार के साथ कोई धनराशि प्रदान नहीं की जाती है। 

1954 में ये सम्मान केवल जीवित लोगों को दिया जाता था. लेकिन 1955 में मरणोपरांत भी भारत रत्न दिए जाने का प्रावधान जोड़ा गया. भारत रत्न प्राप्त करने की आधिकारिक घोषणा भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी कर दी जाती है. यह सम्मान 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर दिया जाता है. 1954 से अब तक 48 लोगों को यह सम्मान मिल चुका है. कर्पूरी ठाकुर 49वें शख्स होंगे जिन्हें यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. एक साल में अधिकतम तीन लोगों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है. यह पुरस्कार 13 जुलाई 1977 से 26 जनवरी 1980 के बीच निलंबित भी किया जा चुका है।

आपको बता दें इस बार यह सम्मान बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे।

24 जनवरी को ही जननायक कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती है और केंद्र सरकार की तरफ से यह ऐलान ऐसे समय में किया गया है।

जिन्होंने यह सम्मान प्रदान किया है

प्रणब मुखर्जी -2019

भूपेन हजारिका -2019

नानाजी देशमुख - 2019

मदन मोहन मालवीय -2015

अटल बिहारी वाजपेयी- 2015

सचिन तेंदुलकर - 2014

सीएनआर राव - 2014

पंडित भीमसेन जोशी - 2008

लता दीनानाथ मंगेशकर - 2001

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान - 2001

प्रो. अमर्त्य सेन - 1999

गोपीनाथ बोरदोलोई - 1999

जयप्रकाश नारायण - 1999

पंडित रविशंकर - 1999

चिदंबरम सुब्रमण्यम - 1998

मदुरै शनमुखावदिवु सुब्बुलक्ष्मी - 1998

डॉ. अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम - 1997

अरुणा आसफ अली - 1997

गुलजारी लाल नंदा - 1997

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा - 1992

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद -1992

सत्यजीत रे - 1992

मोरारजी रणछोड़जी देसाई - 1991

राजीव गांधी - 1991

सरदार वल्लभभाई पटेल -1991

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर - 1990

डॉ. नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला - 1990

मरुदुर गोपालन रामचंद्रन - 1988

खान अब्दुल गफ्फार खान - 1987

आचार्य विनोबा भावे - 1983

मदर टेरेसा - 1980

कुमारस्वामी कामराज - 1976

वराहगिरी वेंकट गिरी - 1975

इंदिरा गांधी - 1971

लाल बहादुर शास्त्री - 1966

डॉ. पांडुरंग वामन केन - 1963

डॉ. जाकिर हुसैन - 1963

डॉ. राजेंद्र प्रसाद - 1962

डॉ. बिधान चंद्र रॉय - 1961

पुरुषोत्तम दास टंडन - 1961

डॉ. धोंडे केशव कर्वे - 1958

पं. गोविंद बल्लभ पंत -1957

डॉ. भगवान दास - 1955

जवाहरलाल नेहरू - 1955

डॉ. मोक्षगुंडम विवेस्वराय -1955

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी - 1954

डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन -1954

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन - 1954

आपको बता दें यह सम्मान भारत रत्न देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है. यह उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में देश के लिए उल्लेखनीय और असाधारण योगदान दिया हो. भारत रत्न देने की शुरुआत 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी. 1954 में पहली बार तीन लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. ये तीन शख्तियत थीं- आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन.


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