हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बिलासपुर को मिली 62.50 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता: इंदु गोस्वामी - Smachar

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हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बिलासपुर को मिली 62.50 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता: इंदु गोस्वामी

हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बिलासपुर को मिली 62.50 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता: इंदु गोस्वामी 

दिल्ली समाचार

दिल्ली(ब्यूरो):-   हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बिलासपुर को नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के अन्तर्गत 62.50 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है। इस बारे में केन्द्रीय शिक्षा राज्य मन्त्री डॉक्टर सुकांत मजूमदार ने राज्य सभा सांसद सुश्री इंदु बाला गोस्वामी को संसद में बताया।

उन्होंने बताया की हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बिलासपुर के मास्टर प्लान में कोई बदलाब नहीं किया गया है। कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस के स्ट्रीम में तीन बीटेक कोर्स चलाये जा रहे हैं। और प्रत्येक स्ट्रीम में 60 छात्रों को दाखिला दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया की इस कॉलेज को  हिमाचल सरकार के प्रशासनिक नियन्त्रण में चलाया जा रहा है। और हिमाचल सरकार  के तकनिकी शिक्षा सचिव बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर के चेयरमैन हैं।


राष्ट्रीय राजमार्गों पर पायलट स्टडी शुरू

केन्द्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मन्त्री नितिन गडकरी ने  राज्य सभा सांसद सुश्री इंदु बाला गोस्वामी को संसद में बताया की राष्ट्रीय राजमार्गों पर अबारा जानवरों के प्रवेश, चलने, ढहरने  की समस्या से निपटने के उपाय सुझाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्ग 334 बी, 148 बी, राष्ट्रीय राजमार्ग 21 और 122 पर पायलट स्टडी शुरू की है। 

उन्होंने बताया की इसके अन्तर्गत आवारा जानवरों के उपचार का स्कोप नहीं है हालाँकि पेरा मेडिकल स्टाफ और पशु चिकित्साओं का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने बताया की इस पायलट स्टडी के बाद राज्य सरकारों को आवारा जानवरों के राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रवेश को रोकने के लिए एडवाइजरी जारी की जाएगी। 

उन्होंने बताया की केन्द्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग  मन्त्रालय पशुओं की देखभाल के लिए कोई पशु केंद्र स्थापित नहीं करता क्योंकि यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।

उन्होंने बताया की राष्ट्रीय राजमार्ग  की धारा 36 के अन्तर्गत पशुओं के राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रवेश, खड़े होने या चलने से रोकने की पूरी जिम्मेदारी पशु मालिकों की है।

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