लद्दाख में मौसम का बदलाव : पेंसी-ला और खारदुंग-ला पर बर्फबारी, लेह में स्कूल बंद
लद्दाख में मौसम का बदलाव : पेंसी-ला और खारदुंग-ला पर बर्फबारी, लेह में स्कूल बंद
अगस्त में बर्फबारी ने बढ़ाई ठंड, 1973 के बाद अगस्त का सबसे ज्यादा बारिश का रिकॉर्ड
लेह
लद्दाख में मौसम ने अचानक करवट बदलते हुए इस बार अगस्त महीने में ही ऊंचाई वाले इलाकों को बर्फ की सफेद चादर से ढक दिया। ज़ंस्कार स्थित पेंसी-ला और विश्व के सबसे ऊंचे मोटरयोग्य दर्रों में से एक खारदुंग-ला पर सोमवार को मौसमी बर्फबारी दर्ज की गई। यह बर्फबारी सामान्यतः सितंबर से अप्रैल के बीच देखने को मिलती है, लेकिन इस बार अगस्त में ही हो गई, जिसे मौसम की अनियमितता और जलवायु परिवर्तन के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
यातायात और आपूर्ति पर असर
खारदुंग-ला दर्रे पर ताज़ा बर्फ गिरने के चलते सड़कें फिसलन भरी हो गईं और यातायात बाधित हो गया। प्रशासन ने मार्ग को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।
इस मार्ग के बंद होने से न केवल पर्यटकों की आवाजाही प्रभावित हुई है, बल्कि श्योख और नुब्रा घाटियों से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखला और स्थानीय जनजीवन पर भी असर पड़ा है।
गांवों में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।
लेह में बारिश का रिकॉर्ड
लेह में स्थित मेट्रोलॉजिकल सेंटर (Yourting) ने सोमवार शाम 4 बजे तक 47 मिमी वर्षा दर्ज की। यह अगस्त महीने का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है, जो 1973 के बाद पहली बार बना है। भारी बारिश ने स्थानीय लोगों और यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद
खराब मौसम और बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला उपायुक्त (DC) और LAHDC Leh के CEO ने 26 अगस्त (मंगलवार) को लेह जिले के सभी सरकारी व निजी स्कूलों के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखने का आदेश जारी किया।
प्रशासन का कहना है कि यह अग्रिम और जिम्मेदार कदम है, ताकि बच्चों को जोखिम भरे रास्तों पर स्कूल न जाना पड़े।
यात्रियों के लिए चेतावनी
स्थानीय प्रशासन ने पर्यटकों और आम लोगों से ऊंचाई वाले मार्गों पर सफर के दौरान सावधानी बरतने की अपील की है।
ताज़ा बर्फ और बारिश से सड़कें बेहद फिसलन भरी हो गई हैं।
प्रशासन ने सलाह दी है कि लोग अनावश्यक यात्रा न करें और मौसम संबंधी अपडेट लेते रहें।
मौसम विशेषज्ञों की राय
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अगस्त के महीने में बर्फबारी जलवायु परिवर्तन और मौसम के पैटर्न में बदलाव की ओर संकेत है। सामान्यतः यह बर्फबारी सितंबर से अप्रैल तक देखने को मिलती है, लेकिन इस बार जल्दी आने से आगामी शीतकाल और भी कठोर हो सकता है।
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