रेणुका मेले में हुई पारम्परिक बुड़ाह लोकनृत्य की प्रतियोगितायें - Smachar

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रेणुका मेले में हुई पारम्परिक बुड़ाह लोकनृत्य की प्रतियोगितायें

 रेणुका मेले में हुई पारम्परिक बुड़ाह लोकनृत्य की प्रतियोगितायें


नाहन अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले के तीसरे दिन आज शुक्रवार को सिरमौर जिला की पारंपरिक बुड़़ाह लोक नृत्य प्रतियोगिता के द्वारा सिरमौरी संस्कृति की शानदार झलक देखने को मिली है। रेणु मंच पर जिला सिरमौर के विभिन्न लोक कलाकारों से सुसज्जित दलों ने बुड़ाह पारंपरिक लोक नृत्य के साथ वाद्य यंत्रों की धुन से लोगों को मंत्रमुग्ध किया और अपनी-अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया।  

  बुड़ाह दल प्रतियोगिता में शिरगुल कला मंच घाटों, बुडाह लोकनृत्य दल सैंज, पारंपरिक लोक नृत्य हानत, गोगा वीर सांस्कृतिक कला मंच पखवान गणोग, गुगा महाराज बुढ़ियात सांस्कृतिक क्लब क्यारका, बुडाह दल ऊंचा टिक्कर के कलाकारों ने प्रतियोगिता में भाग लिया।  

  इस प्रतियोगिता में बुडाह लोक नृत्य दल सैंज तथा बुडाह नृत्य दल ऊंचा टिक्कर संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रहे। इसी प्रकार द्वितीय स्थान पर पारंपरिक बुडाह लोकनृत्य दल घाटों रहा। प्रथम तथा द्वितीय स्थान पर रहे विजेताओं को रेणुका विकास बोर्ड द्वारा नकद पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।

 उल्लेखनीय है कि सिरमौर जिला कि सांस्कृतिक विरासत को लोक संगीत से ही जाना और समझा जा सकता है। बुडाह नृत्य जिला सिरमौर में दीवाली के पर्व पर अमावस्या से भैया दूज तक किया जाता है। इस नृत्य के आरम्भ में इसके इतिहास को भी गाया जाता है। जिसके अनुसार बुडाह नृत्य को पाण्डवों ने श्री कृष्ण के परामर्श से आयोजित किया था।  

  इस नृत्य के मंचन के समय ऐतिहासिक वीरगाथायें, युद्ध गाथायें व हारुलों का गायन किया जाता है। इस पाम्परिक नृत्य का मुख्य आकर्षण इसकी पोशाक, आभुषण, डांगरा के अलावा लोक वाद्य यंत्र जैसे बाँसुरी, हुडक थाली दमामु/दमान्टु आदी हैं। 

 रेणुका विकास बोर्ड के अध्यक्ष और उपायुक्त सिरमौर सुमित खिमटा और उनकी टीम द्वारा अंतराष्टीय रेणुका जी मेले के अवसर पर सांस्कृतिक विरासत को संजोय इस प्रकार के लोक नृत्यों का मंचन करवाने का निर्णय अत्यंत प्रशंसनीय है। इसके मंचन से युवा पीढ़ी को अपने प्राचीन संस्कृति की झलक को करीबी से देखने का सौभाग्य मिलता है।

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