कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले पर लगवाई रोक, किसान हुए चार गुना मुआवजे से वंचित
कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले पर लगवाई रोक, किसान हुए चार गुना मुआवजे से वंचित
भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच ने जताया रोष, याचिका को निरस्त करवाने सुप्रीम कोर्ट तक जाने की चेतावनी
मंडी
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार एक बार फिर किसान विरोधी नीतियों को लेकर विवादों में आ गई है। भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा किसानों के पक्ष में दिए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से रोक लगवा कर हजारों किसानों को उनकी जमीन का चार गुना मुआवजा मिलने से वंचित कर दिया है।
मंच के अध्यक्ष बेलीराम कोंडल ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2015 की अधिसूचना, जिसमें भूमि अधिग्रहण के मामलों में किसानों को फैक्टर-2 के अनुसार चार गुना मुआवजा दिए जाने का प्रावधान था, को बचाने की बजाय उच्च न्यायालय के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें इसे रद्द किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमएम सुंदरेष व जस्टिस एनके सिंह की खंडपीठ ने इस फैसले पर एकतरफा स्थगन आदेश दे दिया, जिससे किसान एक बार फिर न्याय से दूर हो गए।
संयोजक जोगिंद्र वालिया ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल हाईकोर्ट ने मई 2025 में अपने ऐतिहासिक फैसले में राज्य सरकार की उस अधिसूचना को खारिज कर दिया था जिसमें केवल फैक्टर-1 लागू किया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 की मूल भावना के अनुसार किसानों को अधिकतम लाभ मिलना चाहिए, जिसमें फैक्टर-2 तक का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि सुन्नी डैम प्रभावितों के मामले में न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने कहा था कि राज्य सरकार की अधिसूचना से ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों के साथ अन्याय हो रहा है, इसलिए इसे रद्द किया जाता है।
मंच ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने चुनावों के समय किसानों से चार गुना मुआवजे का वादा किया, लेकिन सत्ता में आने के बाद अपने वादों से मुकर गए। भाजपा सरकार ने वर्ष 2017 में चुनाव पूर्व किए गए वादों को नजरअंदाज किया, वहीं वर्तमान कांग्रेस सरकार ने 2022 के चुनावों में चार गुना मुआवजे का वादा कर सत्ता हासिल की लेकिन आज तक इस दिशा में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
मंच ने स्पष्ट किया है कि वे यह अन्याय चुपचाप नहीं सहेंगे। मंच के नेतृत्व में सभी प्रभावित किसान और फोरलेन संघर्ष समिति मिलकर अब सुप्रीम कोर्ट में पुनः याचिका दायर कर सरकार के स्थगन आदेश को निरस्त करवाने के लिए संघर्ष करेंगे।
भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच ने सरकार को चेताया है कि अगर समय रहते किसानों को न्याय नहीं मिला, तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
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