लाहौल घाटी के त्रिलोकनाथ मंदिर में 22 से 24 अगस्त तक धूमधाम से मनाया जाएगा पोरी मेला - Smachar

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लाहौल घाटी के त्रिलोकनाथ मंदिर में 22 से 24 अगस्त तक धूमधाम से मनाया जाएगा पोरी मेला

 लाहौल घाटी के त्रिलोकनाथ मंदिर में 22 से 24 अगस्त तक धूमधाम से मनाया जाएगा पोरी मेला


लाहौल-स्पीति : रंजीत लाहौली /

जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक त्रिलोकनाथ पोरी मेला इस वर्ष 22 अगस्त से 24 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा। तीन दिवसीय इस मेले में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सांस्कृतिक और खेलकूद गतिविधियों का भी आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा है, बल्कि स्थानीय परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत बनाए रखने का कार्य करता है।


🔹 शुभारंभ और अध्यक्षता


मेले का शुभारंभ लाहौल-स्पीति की उपायुक्त किरण भड़ाना करेंगी। वहीं, मेले के मुख्य समारोह की अध्यक्षता विधायक अनुराधा राणा करेंगी। इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी, गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहेंगे।


🔹 धार्मिक और सांस्कृतिक आकर्षण


त्रिलोकनाथ मंदिर में आयोजित होने वाले इस मेले के दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होंगे। स्थानीय पुजारियों और श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।


मणिमहेश यात्रा और शोभा यात्रा इस मेले का मुख्य आकर्षण रहेंगी।


स्थानीय कलाकार पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर लोक नृत्य और लोकगीत प्रस्तुत करेंगे।


सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए लाहौल घाटी की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।



🔹 खेलकूद और जन भागीदारी


पोरी मेले में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ खेलकूद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होगा। इनमें स्थानीय युवाओं और बच्चों की बड़ी भागीदारी रहेगी। इन गतिविधियों के जरिए जहां प्रतिभा को मंच मिलेगा, वहीं मेल-मिलाप और भाईचारे की भावना भी मजबूत होगी।


🔹 परंपरा और पहचान का प्रतीक


उदयपुर उपमंडल अधिकारी अलीशा चौहान ने बताया कि पोरी मेला केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह लाहौल जिले की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह मेला आस्था, परंपरा और संस्कृति को जोड़ने वाला पुल है।


🔹 श्रद्धालुओं में उत्साह


त्रिलोकनाथ मंदिर के इस पारंपरिक मेले का श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। हर साल बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं और धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक 

कार्यक्रमों का आनंद उठाते हैं।

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