मेडिकल यूनिवर्सिटी के स्थानांतरण के विरोध में उभरा जनआक्रोश, बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने भरी हुंकार
मेडिकल यूनिवर्सिटी के स्थानांतरण के विरोध में उभरा जनआक्रोश, बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने भरी हुंकार
नेरचौक : अजय सूर्या /
मुख्यमंत्री द्वारा नेरचौक स्थित अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी को बल्ह से स्थानांतरित करने की घोषणा ने पूरे क्षेत्र में असंतोष की लहर पैदा कर दी है। इस फैसले को स्थानीय जनता, किसान संगठनों और सामाजिक प्रतिनिधियों ने बल्ह घाटी के साथ अन्याय बताते हुए कड़े शब्दों में निंदा की है।
इसी क्रम में रविवार को बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति की एक अहम बैठक कंसा चौक में आयोजित की गई। बैठक में भारी संख्या में ग्रामीणों ने शिरकत कर सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध किया। ग्रामीणों ने ऐलान किया कि यदि सरकार ने अपने निर्णय पर जल्द पुनर्विचार नहीं किया तो बल्ह की धरती से एक बड़े जनांदोलन की शुरुआत होगी।
बैठक की अध्यक्षता समिति अध्यक्ष प्रेम दास चौधरी ने की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह निर्णय केवल बल्ह घाटी ही नहीं, बल्कि पूरे मंडी जिला की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बल्ह क्षेत्र मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है और इसकी अनदेखी कर इसे अन्यत्र स्थानांतरित करना जनता के साथ धोखा है।
चौधरी ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज नेरचौक के समीप कुम्मी क्षेत्र के जाड़ गांव में करीब 200 बीघा सरकारी भूमि उपलब्ध है। यह भूमि न केवल विवाद रहित है बल्कि पूरी तरह खाली और समतल है, जहाँ किसी प्रकार का अवैध कब्जा या निर्माण कार्य नहीं है। इस लिहाज से यह स्थान मेडिकल यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए आदर्श है और सरकार को यहीं पर निर्माण कार्य शुरू करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बल्ह घाटी की भौगोलिक स्थिति, स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता और पहले से बनी योजनाओं को ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी का निर्माण यहीं होना चाहिए। चौधरी ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार नहीं किया तो आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी और मजबूरन जनता सड़कों पर उतरने को बाध्य होगी।
संघर्ष समिति की अपील और चेतावनी
बैठक में पारित प्रस्ताव में सरकार से मांग की गई कि जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए मेडिकल यूनिवर्सिटी बल्ह में ही स्थापित की जाए। समिति ने यह भी साफ कर दिया कि यह सिर्फ विकास का सवाल नहीं, बल्कि बल्ह क्षेत्र की पहचान और भविष्य से जुड़ा विषय है। यदि सरकार ने इसे नजरअंदाज किया तो आने वाले समय में व्यापक जनविरोध का सामना करना पड़ेगा।
बैठक में समिति के सचिव नंद लाल, बलदेव सिंह, हेम सिंह, राज पाल सहित कई अन्य सदस्य और ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि सरकार का यह निर्णय पूरी घाटी के लिए अस्वीकार्य है और वे किसी भी कीमत पर अपने हक से पीछे नहीं हटेंगे।
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