लाहौल घाटी में चंद्रभागा नदी उफान पर, जोवरंग गांव का पुल खतरे में
लाहौल घाटी में चंद्रभागा नदी उफान पर, जोवरंग गांव का पुल खतरे में
सरकार भी चुनौती के आगे झुकी, किसानों की बढ़ी चिंता
केलांग : रंजीत लाहौली /
केलांग, 19 अगस्त। जनजातीय जिला लाहौल घाटी में चंद्रभागा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से हालात गंभीर होते जा रहे हैं। घाटी के मणिमहेश यात्रा के मुख्य द्वार जोवरंग गांव का पुल कभी भी नदी की तेज धारा में बह सकता है। इस समय स्थिति यह है कि नदी का जलस्तर इतना ऊँचा हो गया है कि पुल के ऊपर से करीब 2 से ढाई फीट तक पानी बह रहा है।
किसानों की सबसे बड़ी परेशानी – फसलें पार कैसे पहुँचाएं?
इस पुल पर खतरा मंडराने से सबसे ज्यादा परेशानी स्थानीय किसानों को हो रही है। खेतों से निकली सब्ज़ियाँ और अन्य फसलें इसी पुल के रास्ते घाटी के दूसरे इलाकों तक पहुंचती हैं। लेकिन अब पुल से पानी गुजरने के कारण किसान असमंजस में हैं कि अपनी मेहनत की उपज को किस तरह सुरक्षित बाजार तक पहुंचाएं।
लगातार बढ़ रहा है जलस्तर
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पिछले तीन से चार दिनों से शाम के समय चंद्रभागा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ रहा है। नदी का उफान देखते ही देखते पुल को अपनी चपेट में ले लेता है, जिससे न केवल किसानों की आजीविका खतरे में पड़ गई है बल्कि आवाजाही भी बाधित हो रही है।
विधायक ने दिलाया आश्वासन
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए लाहौल-स्पीति की विधायक अनुराधा राणा ने प्रभावित किसानों को आश्वासन दिया है कि उनकी फसलों को किसी भी सूरत में घाटी के दूसरी ओर पहुँचाया जाएगा। विधायक ने कहा कि प्रशासन और सरकार इस मामले को गंभीरता से देख रही है और हरसंभव मदद दी जाएगी।
प्रशासन के लिए चुनौती
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नदी का जलस्तर यूं ही बढ़ता रहा तो जोवरंग गांव का यह पुल किसी भी समय बह सकता है। पुल के क्षतिग्रस्त होने से न केवल मणिमहेश यात्रा मार्ग बाधित होगा बल्कि किसानों और स्थानीय निवासियों की आजीविका पर भी गहरा संकट छा जाएगा।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से पुल की सुरक्षा के लिए तात्कालिक कदम उठाने तथा वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध करवाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
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