लदोह गाँव की बेटी आभा शर्मा ने बढ़ाया मान, बनी नवोदय विद्यालय में Fine Arts Teacher - Smachar

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लदोह गाँव की बेटी आभा शर्मा ने बढ़ाया मान, बनी नवोदय विद्यालय में Fine Arts Teacher

 लदोह गाँव की बेटी आभा शर्मा ने बढ़ाया मान, बनी नवोदय विद्यालय में Fine Arts Teacher


पंचरुखी

लदोह गाँव की प्रतिभाशाली बेटी आभा शर्मा, पुत्री श्री संजय लदोहिया ने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के बल पर गाँव, परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। हाल ही में उनका चयन नवोदय विद्यालय, हिमाचल प्रदेश में Fine Arts Teacher के पद पर हुआ है। यह खबर सामने आते ही पूरे क्षेत्र में खुशी और गर्व का माहौल है।


आभा शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव लदोह से प्राप्त की और इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से Fine Arts में परास्नातक (Post Graduation) की डिग्री हासिल की। शिक्षा के दौरान ही उन्होंने कला के विभिन्न आयामों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। पेंटिंग और अन्य कलात्मक विधाओं में उनकी गहरी रुचि रही है। कई प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन कर प्रशंसा प्राप्त की।


शिक्षक पद पर चयनित होने के बाद आभा शर्मा ने कहा कि यह उनकी जिंदगी का अहम पड़ाव है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा-दादी के आशीर्वाद, माता-पिता के सहयोग और शिक्षकों के मार्गदर्शन को दिया। उन्होंने यह भी कहा कि लगन, परिश्रम और निरंतर प्रयास से ही किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।


इस उपलब्धि से पूरे गाँव लदोह में खुशी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों, रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों ने आभा शर्मा को ढेरों शुभकामनाएँ दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। गाँववासियों ने कहा कि आभा की सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी और गाँव के बच्चों को भी मेहनत कर ऊँचाइयाँ छूने का हौसला मिलेगा।


गाँव के बुजुर्गों ने इसे क्षेत्र के लिए गर्व का क्षण बताया और कहा कि आभा शर्मा जैसी होनहार बेटियाँ ही समाज और परिवार का नाम रोशन करती हैं। वहीं युवा वर्ग ने उन्हें रोल मॉडल मानते हुए कहा कि वे उनकी तरह कठिन परिश्रम करके अपने सपनों को साकार करने की दिशा में काम करेंगे।


आभा शर्मा की यह सफलता न केवल लदोह गाँव बल्कि पूरे पंचरुखी क्षेत्र के लिए गौरव की बात है। उनके नवोदय विद्यालय में शिक्षक पद पर चयनित होने से यह उम्मीद जताई जा रही है कि वे आने वाली पीढ़ियों को न सिर्फ पढ़ाएँगी बल्कि कला के प्रति उनमें रुचि जगाकर उन्हें सही दिशा भी देंगी।

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