ऐतिहासिक छड़ी यात्रा दशनाम अखाड़ा चम्बा से मणिमहेश के लिए रवाना
ऐतिहासिक छड़ी यात्रा दशनाम अखाड़ा चम्बा से मणिमहेश के लिए रवाना
हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा, 30 अगस्त को पहुंचेगी पवित्र डल झील
चम्बा : जितेन्द्र खन्ना /
हिमालय की गोद में बसे शिव भक्तों के सबसे बड़े पर्वों में से एक मणिमहेश यात्रा का आगाज़ हो चुका है। चम्बा शहर स्थित ऐतिहासिक दशनाम अखाड़ा से रविवार को छड़ी यात्रा बड़े ही धूमधाम और भक्तिभाव के साथ रवाना हुई।
कार्यक्रम की शुरुआत एसडीएम चम्बा प्रियांशु खाती ने भगवान दत्तात्रेय की विधिवत पूजा-अर्चना कर की। इसके बाद उन्होंने अखाड़े के महंत यतेंद्र गिरी को पवित्र छड़ी सौंपी। जैसे ही छड़ी यात्रा की अगुवाई हुई, बैंड-बाजों की गूंज और “बम-बम भोले” के जयकारों से पूरा शहर शिवमय हो उठा।
साधु-संतों और भक्तों का जमावड़ा
देशभर के विभिन्न अखाड़ों से आए साधु-संत इस यात्रा में शामिल हुए हैं। सैकड़ों की संख्या में भक्त और श्रद्धालु भी यात्रा में उमड़ पड़े। छड़ी की अगुवाई में निकली इस यात्रा को विदा करने के लिए शहर के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे और उन्होंने छड़ी की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया।
पड़ाव और अंतिम गंतव्य
पवित्र छड़ी यात्रा अपने पारंपरिक पड़ावों से गुजरते हुए 30 अगस्त की शाम को मणिमहेश डल झील पहुंचेगी। यहां भगवान शिव के पवित्र दर्शन के साथ यात्रा का समापन होगा। यात्रा मार्ग में गांव-गांव और पड़ावों पर स्थानीय लोग श्रद्धापूर्वक छड़ी का स्वागत करेंगे और भक्तों के लिए भंडारे और ठहरने की व्यवस्था भी की जाएगी।
एक हजार साल पुरानी परंपरा
मणिमहेश यात्रा का इतिहास बेहद प्राचीन है। बताया जाता है कि यह परंपरा करीब एक हजार वर्षों से चली आ रही है। जिस प्रकार अमरनाथ यात्रा में पवित्र छड़ी निकलती है, उसी प्रकार चम्बा से यह छड़ी मणिमहेश यात्रा की प्रतीक है। हर वर्ष यह पवित्र छड़ी दशनाम अखाड़ा चम्बा से विधिवत पूजा-अर्चना के बाद डल झील की ओर प्रस्थान करती है।
भक्तिमय माहौल
छड़ी यात्रा के प्रस्थान के अवसर पर चम्बा शहर का माहौल भक्तिमय हो गया। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने फूल बरसाकर छड़ी यात्रा का स्वागत किया। ढोल-नगाड़ों की थाप, शंखनाद और घंटियों की ध्वनि से पूरा वातावरण गूंज उठा।
कोई टिप्पणी नहीं