शिक्षा और अभिनय में नई मिसाल: प्रो. अरुण चंद्र अब टीवी धारावाहिक "देवांचल की प्रेम कथा" में अहम भूमिका में
शिक्षा और अभिनय में नई मिसाल: प्रो. अरुण चंद्र अब टीवी धारावाहिक "देवांचल की प्रेम कथा" में अहम भूमिका में
पालमपुर/जयसिंहपुर
शिक्षा जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके कंवर दुर्गा चंद राजकीय महाविद्यालय जयसिंहपुर के प्राचार्य प्रो. अरुण चंद्र ने अब अभिनय की दुनिया में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना शुरू कर दिया है। पालमपुर क्षेत्र के गुरुद्वारा रोड से संबंध रखने वाले प्रो. अरुण चंद्र इन दिनों लोकप्रिय सरकारी टीवी चैनल दूरदर्शन (डीडी नेशनल) पर प्रसारित हो रहे चर्चित धारावाहिक “देवांचल की प्रेम कथा” में एक महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं।
प्रसारण समय
यह धारावाहिक सोमवार से शुक्रवार तक प्रतिदिन रात 9 बजे दूरदर्शन पर प्रसारित होता है और अगले दिन दोपहर 11:30 बजे इसका पुनः प्रसारण किया जाता है।
18 अगस्त को रात 9 बजे और
19 अगस्त को दोपहर 11:30 बजे
दर्शक प्राचार्य प्रो. अरुण चंद्र को अभिनय करते हुए टेलीविजन पर देख सकेंगे।
गौरतलब है कि इस धारावाहिक की 10वीं एपिसोड, जिसका प्रसारण 15 अगस्त को होना था, स्वतंत्रता दिवस के विशेष कार्यक्रमों के कारण टल गई थी। अब यह एपिसोड 18 अगस्त को रात 9 बजे टेलीकास्ट होगी।
हिमाचल की झलक दिखाता धारावाहिक
धारावाहिक “देवांचल की प्रेम कथा” की अधिकांश शूटिंग पालमपुर (कांगड़ा) सहित हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थलों पर की गई है। यह शो देवभूमि हिमाचल की संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक जीवन को निकट से दर्शाता है।
सशक्त और प्रेरणादायी किरदार
इस धारावाहिक में प्रो. अरुण चंद्र एक न्यायप्रिय, प्रेरणादायी और संवेदनशील स्कूल प्राचार्य की भूमिका में नज़र आ रहे हैं, जो न सिर्फ विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान करते हैं बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी सक्रिय रहते हैं। यह किरदार उनके वास्तविक व्यक्तित्व और मूल्यों से मेल खाता है।
शिक्षा और कैमरे का संगम
अपने नए अनुभव के बारे में प्राचार्य प्रो. अरुण चंद्र ने कहा—
“कक्षा और कैमरे के बीच का फर्क केवल मंच का है—दोनों जगह संदेश पहुंचाना और दिलों को छूना ही मेरा उद्देश्य है।”
छात्रों और सहकर्मियों में गर्व की लहर
कॉलेज के प्राध्यापक वर्ग और विद्यार्थियों ने प्राचार्य की इस पहल का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह पूरे जयसिंहपुर, पालमपुर क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि उनके प्राचार्य न केवल शिक्षा जगत में, बल्कि सांस्कृतिक और मनोरंजन जगत में भी सक्रिय योगदान दे रहे हैं।
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