लाहौल-स्पीति का वीर सपूत अरुण कुमार सियाचिन ग्लेशियर में ड्यूटी निभाते हुए शहीद - Smachar

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लाहौल-स्पीति का वीर सपूत अरुण कुमार सियाचिन ग्लेशियर में ड्यूटी निभाते हुए शहीद

 लाहौल-स्पीति का वीर सपूत अरुण कुमार सियाचिन ग्लेशियर में ड्यूटी निभाते हुए शहीद


मनाली : ओम बौद्ध /

हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले का वीर जवान अरुण कुमार (पुत्र जय सिंह, निवासी किशोरी गांव) देश की सेवा करते हुए सियाचिन ग्लेशियर पर आकस्मिक रूप से शहीद हो गया। अरुण कुमार लद्दाख स्काउट्स में अग्निवीर के रूप में भर्ती होकर अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। महज 22 वर्ष की उम्र में उनकी यह बलिदानमयी यात्रा पूरे लाहौल घाटी को शोकसंतप्त कर गई है।

ड्यूटी के दौरान अचानक बिगड़ी तबीयत

अरुण कुमार लगभग दो सप्ताह पहले ही सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात हुए थे। उनके चाचा ओमप्रकाश ने बताया कि रविवार रात ड्यूटी के दौरान अचानक उन्हें तेज सिरदर्द हुआ और उसी कारण उनकी मृत्यु हो गई। परिवार को यह सूचना सेना द्वारा देर रात दी गई।

पहली अग्निवीर भर्ती का गौरव

गौरतलब है कि अरुण कुमार 2023 की पहली अग्निवीर भर्ती में बतौर सिपाही शामिल हुए थे। भर्ती के बाद उनकी तैनाती लद्दाख स्काउट्स में हुई थी और वे पूरे जोश और समर्पण के साथ देश की सेवा में लगे थे। उनकी आकस्मिक शहादत ने न केवल परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र को गहरे दुःख में डुबो दिया है।

पार्थिव शरीर पहुंचेगा गृह गांव

सेना की ओर से जानकारी दी गई है कि अरुण कुमार का पार्थिव शरीर मंगलवार तक उनके पैतृक गांव किशोरी (लाहौल-स्पीति) पहुंच जाएगा, जहाँ पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। स्थानीय प्रशासन ने भी अंतिम संस्कार की सभी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।

नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने जताया शोक

अरुण कुमार की आकस्मिक मृत्यु पर लाहौल-स्पीति की विधायक अनुराधा राणा और भाजपा नेता रवि ठाकुर ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि अरुण कुमार की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने परिवार को इस कठिन घड़ी में धैर्य रखने की प्रार्थना की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

घाटी में शोक की लहर

अरुण कुमार के निधन की खबर मिलते ही पूरे लाहौल घाटी में शोक की लहर दौड़ गई। किशोरी गांव और आसपास के क्षेत्रों के लोग अपने इस वीर सपूत के अंतिम दर्शन के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि अरुण कुमार बचपन से ही होनहार और अनुशासित थे, और उनका सपना सेना में जाकर देश की सेवा करना था।

देश के लिए बलिदान का प्रतीक

लाहौल-स्पीति का यह वीर सपूत भले ही शारीरिक रूप से अब हमारे बीच न रहा हो, लेकिन उसकी देशभक्ति और बलिदान की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।




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