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करसोग-शिमला रोड ततापानी के पास धंसा, यातायात ठप; लोगों को भारी दिक्कतें

 करसोग-शिमला रोड ततापानी के पास धंसा, यातायात ठप; लोगों को भारी दिक्कतें


मंडी

करसोग-शिमला मार्ग पर सोमवार को बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई, जब ततापानी के समीप सड़क का आधे से ज्यादा हिस्सा धंस गया। सड़क का शेष हिस्सा भी कभी भी धंसने की कगार पर है, जिसके चलते प्रशासन ने इस मार्ग पर भारी और हल्के वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि, अस्थायी रूप से दोपहिया वाहनों को सावधानीपूर्वक निकलने की अनुमति दी जा रही है।

पुलिस ने संभाला मोर्चा

सुबह से ही पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर तैनात कर दिया गया है, ताकि कोई वाहन चालक जोखिम उठाकर धंसी हुई सड़क को पार न करे। पुलिस द्वारा लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है और वैकल्पिक मार्गों से यात्रा करने की सलाह दी जा रही है।

लोगों को झेलनी पड़ रही दिक्कतें

सड़क धंसने के कारण स्थानीय लोगों और यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शिमला जाने वाले लोग अब पैदल सुन्नी तक सफर करने को मजबूर हैं, ताकि वहां से शिमला के लिए बस मिल सके। रोज़ाना आवाजाही करने वाले विद्यार्थियों, कर्मचारियों और व्यापारियों को अधिक दिक्कत आ रही है।

लंबे समय से बदहाल थी सड़क

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सड़क कई वर्षों से इसी तरह जर्जर हालत में थी। प्रशासन को इस बात की पूरी जानकारी थी कि कभी न कभी यह मार्ग पूरी तरह धंस जाएगा, लेकिन सुधारात्मक कार्य समय रहते नहीं किए गए। सड़क के धंसने पर केवल कटिंग कर अस्थायी मरम्मत की जाती रही, जबकि स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

ततापानी पुल पर भी संकट

स्थानीय लोगों ने चेताया है कि सड़क ही नहीं, बल्कि ततापानी पुल भी अब खतरे की जद में है। हर साल सतलुज नदी का जलस्तर तेज़ी से बढ़ता है और पुल के समीप कटान हो रही है। यदि समय रहते नए सिरे से पुल निर्माण की योजना नहीं बनाई गई, तो आने वाले वर्षों में यह पुल भी नदी में समा सकता है। ग्रामीणों ने मांग उठाई है कि सड़क और पुल को नदी से पर्याप्त दूरी पर निकालने के लिए नई परियोजना तैयार की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्या न खड़ी हो।

स्थानीय लोगों में रोष

क्षेत्रवासियों का कहना है कि प्रशासन और सरकार ने समय रहते पहल नहीं की, जिसके कारण आज लोग परेशान हो रहे हैं। लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि सड़क और पुल का स्थायी समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।

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